पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालांकि, सबकी नजरें हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर टिकी हुई हैं। इस बीच मिजोरम का चुनाव कई कारणों से लगभग उपेक्षित सा है। सबसे पहली बात तो यह है कि यहां विधानसभा सीटों की संख्या बेहद कम है। मात्र 40 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य को लगभग हमेशा से ही इग्नोर ही किया गया है।
अब चुनाव है तो वोटिंग तो होगी ही, चाहे कोई इग्नोर करे या ना करे। 28 नवंबर को सभी 40 सीटों के लिए वोटिंग होगी। इस बीच राज्य का एक वर्ग ऐसा भी है, जो अपनी भूख के चलते वोट नहीं डालेगा। ब्रू समुदाय के 11 हजार से ज्यादा लोग त्रिपुरा में रह रहे हैं और वे यहां से मिजोरम जाकर वोट नहीं डालना चाहते हैं। इसके पीछे कारण है कि ये केंद्र सरकार द्वारा खाने की आपूर्ति बंद करने के चलते खाने की समस्या से जूझ रहे हैं।
यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव आयोग चाहे तो त्रिपुरा के छह राहत कैंपों में रहने वाले लोगों के लिए पोस्टल बैलट की व्यवस्था करे। इनका तर्क है कि त्रिपुरा में रह रहे ब्रू समुदाय के लोगों ने 2014 में भी लोकसभा चुनाव में पोस्टल बैलट से ही वोट डाले थे। ऐसे में वे इसबार भी यही चाहते हैं क्योंकि कई सारे लोग ऐसे हैं, जो भूख से परेशान हैं और वोटिंग के लिए इतनी दूर नहीं जा सकते हैं।
वहीं चुनाव आयोग का आदेश है कि इसबार ब्रू समुदाय के लोगों को खुद जाकर ही वोट डालना होगा। बताते चलें कि 1997 में राज्य में हुई हिंसा के बाद ब्रू समुदाय के हजारों लोग विस्थापित हुए थे। इसमें से 32,875 लोग त्रिपुरा के छह रिलीफ कैंपो में रह रहे हैं। हाल ही में केंद्र सरकार के आदेश के बाद 1 अक्टूबर से इन कैंपों में खाद्य सामग्री की सप्लाई बंद कर दी है। केंद्र की ओर से इन लोगों पर यह भी दबाव बनाया जा रहा है कि वे अब कैंप छोड़ें और अपने घरों को लौट जाएं।
सोर्स: टाइम्स ऑफ इंडिया