महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की एक लापरवाही उनपर भारी पड़ने वाली है। उन्होंने सीएम बनने के बाद चुनाव लड़ने के कई मौके गंवाए। उद्धव ने प्लान किया था कि अप्रैल में होने वाले विधान परषिद चुनाव में वह चुन लिए जाएंगे और सीएम बने रहेंगे। अब कोरोना के कारण चुनाव ही कैंसल हो गए। नवंबर में सीएम बने उद्धव ठाकरे के लिए जरूरी है कि वह 28 मई तक विधानमंडल के सदस्य बन जाएं।
अगर उद्धव ठाकरे सीएम नहीं बन पाते हैं तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा। ऐसी स्थिति में उनकी सरकार को किसी और को मुख्यमंत्री चुनना होगा। गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी का रुख देखकर यह लग रहा है कि वह उद्धव ठाकरे को मनोनीत नहीं करेंगे। हालांकि, महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार गवर्नर पर इसके लिए लगातार दबाव बना रही है।
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इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद फिर सीएम बन सकते हैं उद्धव
अब अगर उद्धव ठाकरे को गवर्नर मनोनीत नहीं करते हैं तो उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। उद्धव के इस्तीफा देने की स्थिति में किसी और नेता को सीएम बनाना होगा। हालांकि, यह संभव है कि बाद में विधानमंडल के लिए चुने जाने के बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इस बीच में ‘कार्यकारी सीएम’ टाइप में किसी को नियुक्त करना होगा।
अगर शिवसेना एनसीपी को सीएम पद नहीं देती है तो वह अपनी ही पार्टी से किसी को सीएम बनाएगी। ऐसे में सबसे चर्चित और जरूरी नाम आदित्य ठाकरे हो सकते हैं। शिवसेना की ओर से तो पहली पसंद वही होंगे। शुरुआत में भी शिवसेना आदित्य ठाकरे को ही सीएम बनाना चाहती थी लेकिन आखिर में उद्धव ठाकरे सीएम बने।
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आदित्य ठाकरे बन पाएंगे सीएम?
दरअसल, आदित्य ठाकरे उम्र में काफी छोटे हैं। संभवत: पूरी कैबिनेट में भी वही सबसे छोटे हैं। ऐसे में बाकी नेताओं के लिए अपने जूनियर को सीएम स्वीकार करना उचित नहीं लगेगा। गठबंधन के समय भी काफी दिन तक इसी पर पेच फंसा रहा था। उद्धव सीएम नहीं बनना चाहते थे और एनसीपी के नेता आदित्य ठाकरे के डिप्टी नहीं बनना चाहते थे।
यही सब कारण था कि विधानमंडल का सदस्य ना होने के बावजूद उद्धव ठाकरे सीएम बने। हालांकि, उन्होंने आदित्य ठाकरे को अपनी कैबिनेट में रखा। महत्वपूर्ण मामलों में आदित्य ठाकरे का ही हस्तक्षेप होता है। शिवसेना चीफ होने के नाते आखिरी फैसला उद्धव ठाकरे ही करते हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे सीएम हों या आदित्य ठाकरे, बात एक ही है।