जल संरक्षण समय की जरूरत

जल ही जीवन है। यह बात कई दशकों से हम कहते एवम सुनते आ रहे हैं। जल हमें प्रकृति से एक उपहार के रूप में मिला है। पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा पानी से घिरा हुआ है 30 फिर भी आज स्वच्छ जल की उपलब्धता एवम पानी का लगातार गिरता स्तर भारत सहित वैश्विक स्तर की समस्या बन गई है। जिससे कि आने वाले दिनो में आम जनजीवन के साथ-साथ पूरा विश्व संकट का सामना कर सकता है। पृथ्वी का तीन-चौथाई हिस्सा पानी से घिरा होने के बावजूद भी स्वच्छ जल का आभाव है। हालांकि, लोगों को अब स्वच्छ जल का महत्व जरूर समझ आ रहा है लेकिन जल को संरक्षित करने या उसे साफ रखने की कोशिश लोग अब भी नहीं कर पा रहे हैं।

 

आज दूषित पानी से होने वाली बीमारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जोकि एक गंभीर समस्या बन गई है। पानी की समस्या भारत के कई राज्यों में भी है। हाल के दिनो में केंद्रीय भूजल बोर्ड के मुताबिक, कम बारिश के चलते देश में भूजल का स्तर काफी घट गया है। वर्ल्ड बैंक ने पिछले दिनों जारी एक रिपोर्ट मे कहा कि भारत को जल संसाधन पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा, नहीं तो आने वाले दिनों मे भारत के कई राज्य सूखे की चपेट में आ सकते हैं। हमारे देश में जल संग्रहण को लेकर कोई खास व्यवस्था नहीं है। वर्षा का 80% से ज्यादा पानी छोटी मोटी नदियों के रास्ते समुद्र में बह जाता है। लगातार बढ़ती आबादी से भी हर साल प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता कम हो रही है। हमारे यहाँ पानी का एक बड़ा हिस्सा कृषि एवम खेती के कार्यो में भी इस्तेमाल किया जाता है।असंवेदनशील कृषि तकनीकि से भी पानी र्बबाद होता है।

 

आज देश के कई राज्यों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य कई राज्यों में सूखा पड़ने के चलते किसानों ने आत्महत्या कर ली। वहीं देश के कई राज्यों में पेयजल भी एक समस्या बनी हुई है। यूनेस्को द्वारा जारी रिपोर्ट में दुनिया के सबसे प्रदूषित पानी के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है। जल मंत्रालय के मुताबिक, भारत का 7०% जल जहरीले रसायनों से प्रदूषित है। आज देश के दो महत्वपूर्ण राज्य कर्नाटक और तमिलनाडु कावेरी नदी के पानी को लेकर आपस मे लड़ रहे हैं। दोनों ही राज्य सिंचाई के लिए कावेरी नदी पर ही निर्भर है। पानी की कमी राजस्थान, महाराष्ट्र, बुन्देलखण्ड, बिहार सहित दिल्ली के अासपास के इलाको में व्यापक स्तर पर है। महाराष्ट्र में तो पानी को लेकर धारा 144 लागू करनी पड़ रही है।

 

भारत सरकार द्वारा प्रकाशित 2011 जनगणना प्रतिवेदन के मुताबिक पंजाब में 97% पीने योग्य जल है, जो कि जल उपलब्धता में सबसे ऊपर है जबकि बिहार 33.5% के साथ सबसे निचले पायदान पर है। हालांकि वर्तमान समय में इन आंकड़ों मे काफी बदलाव है लेकिन जल संरक्षण आज भारत के लिए एक गंभीर समस्या है। इसके लिए हमें और आपको स्वयं पानी बनाचा पड़ेगा और अपने पास पड़ोस के लोगो को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा। स्थानीय स्तर पर पहलकर ग्राम पेयजल स्वच्छता समिति के सहयोग से हमें वर्षा जल संग्रहण आदि कि व्यवस्था करनी पड़ेगी। अगर जल संरक्षण के तौर तरीकों पर हम विचार विर्मश नहीं करते हैं तो फिर हमें एक बेहतरीन संकट के सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

अनिसुर रहमान। (लेखक पत्रकारिता के छात्र हैं)

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