बुक रिव्यू: आलोक कुमार की ‘द चिरकुट्स’

अंग्रेजी बोलना पहले फैशन हुआ करता था लेकिन धीरे-धीरे यह सब आधार की तरह जरूरी होता जा रहा है। ऐसे में आजकल की कहानियों में एकाध पात्र जरूर अंग्रेजी से जूझता दिख जाता है। आलोक कुमार की किताब ‘द चिरकुट्स’ में भी एक ऐसा संघर्षरत प्राणी आता है जो वैसे तो बहुत टैलेंटेड है लेकिन अंग्रेजी में उसकी हालत एकदम ‘सरकार’ जैसी हो जाती है। मतलब हर तरह से लाचार नजर आने वाली।

 

इंजिनियरिंग कॉलेज, रैगिंग, दारू-सिगरेट और प्यार ये कुछ ऐसे मसाले हो गए हैं जिन्हें मिलाकर आजकल ज्यादातर कहानियां गढ़ी जा रही हैं। या हो सकता है कि मैं दुर्भाग्य से ऐसी ही किताबें पढ़ रहा हूं। इन्हीं 4-5 चीजों के इर्द-गिर्द एक नया लहजा, कुछ नए शब्द और थोड़ा अलग सा प्लॉट करके किताब तैयार कर देना काफी आसान काम है। हालांकि, यह भी कहा जा सकता है कि 90 पर्सेंट लड़के इंजिनियरिंग कॉलेज जाते हैं, रैगिंग झेलते हैं, दारू-सुट्टा पीते हैं, प्यार होता है और एक और किताब बन जाती है। खैर, किताब की उत्पत्ति से ज्यादा जरूरी है कि किताब में है क्या?

 

अगर फिल्मों की भाषा में बात करें तो एक बार पढ़कर आप निराश तो नहीं ही होंगे कि आपके पैसे डूब गए हैं। नए लिखने वाले काफी कुछ इसलिए सीखेंगे कि अब कुछ नया लिखा जाए।

 

प्यार में धोखा खाए आशिक की प्रेमिका उसको एक बार पैसों या नौकरी की वजह से छोड़ देती है या फिर बेइज्जत कर देती है, इस तरह की कहानियों से भी अब निकल आना चाहिए। हो सकता है कि आपकी अपनी कहानी अपना अनुभव ही हो लेकिन पाठक इसे बहुत बार पढ़ चुके हैं। इसलिए हो सकता है कि आपकी किताब बिके भी बहुत कम!

 

द चिरकुट्स में भी मेरे इस रिव्यू की तरह ही शुरुआत में बहुत कुछ कॉमन चलता रहता है। अचानक से कुछ ऐसा होने लगता है जो बहुत कम ही लोग अनुमान लगाए बैठे हों। कहानी पूरी तरह से नाटकीय मोड़ लेती है और तब लगता है कि लेखक ने मेहनत तो की है। शुरुआत में बिखरी सी लगने वाली कहानी एक गंभीर और मजबूत प्लॉट पर चल पड़ती है। नौकरी, प्लेसमेंट और इसी दौरान होने वाला प्यार सबसे रोमांचक हिस्सा है इस किताब का। लेखक को इसलिए बधाई देनी चाहिए कि उन्होंने एक सकारात्मक पहलू को उभारा है। कहानी में आराम से लाए जा सकने वाले नकारात्मक पहलू को चतुराई से दूर करके अच्छी कहानी की तरफ मोड़ दिया गया।

 

अंत में यह कहना चाहूंगा कि घिसे-पिटे प्लॉट पर कहानी होने के बावजूद किताब वन-टाइम रीड तो है। एक सिटिंग में भी बैठेंगे तो किताब आसानी से खत्म हो जाएगी। किताबों के शौकीन हैं तो जरूर पढ़ जाइए।

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