प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उज्बेकिस्तान जाएंगे. उज्बेकिस्तान का एक शहर है समरकंद. यहीं पर शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेन (SCO) का शिखर सम्मेलन होना है. इस मीटिंग के बाद से अगले साल तक भारत ही SCO की अध्यक्षता करेगा. इसी वजह से यह प्रोग्राम काफी स्पेशल हो गया है. मीटिंग में नरेंद्र मोदी के अलावा चीन और पाकिस्तान के बड़े-बड़े नेता भी होंगे. अब देखने वाली बात ये होगी कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से मिलते हैं या नहीं.
यह इस संगठन का 22वां सम्मेलन है. इस संगठन की स्थापना साल 2001 में हुई थी. जिसमें ज्यादातर सदस्य देश एशियाई महाद्वीप का हिस्सा हैं. इस सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसे दिग्गज नेताओं से मुलाकात करेंगे.
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SCO क्या है?
एशियाई देशों का यह संघठन क्षेत्रीय सहयोग का एक बड़ा केंद्र बिंदु है. रूस, चीन और भारत जैसे बड़े और ताकतवर देशों के शामिल होने से दुनियाभर की निगाहें इस संगठन पर बनी रहती हैं और इसकी गतिविधियों को भी खास निगाह से देखा जाता है. भारत साल 2005 में इस संगठन का पर्यवेक्षक देश बना था. साल 2017 में भारत और पाकिस्तान को इसका स्थायी सदस्य बना दिया गया. इस साल 15 और 16 सितंबर को हो रहे इस सम्मलेन से अगले साल तक भारत ही इस संगठन की अध्यक्षता करेगा.
क्यों खास है इस साल का SCO सम्मेलन?
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 6 महीने से ज्यादा समय से चल रहे युद्ध की वजह से इस बार का SCO शिखर सम्मेलन काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. एशियाई देशों का कारोबार काफी हद तक प्रभावित हो रहा है और ऊर्जा संबंधी ज़रूरतें भी प्रभावित हो रही हैं. यही वजह है कि सभी देशों ने उम्मीद लगा रखी है कि इस मीटिंग से कुछ सकारात्मक निकल सकेगा.
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SCO में कौन-कौन से देश शामिल हैं?
इस संगठन के सदस्य देशों के तौर पर भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस, ईरान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजीकिस्तान शामिल हैं. इसके अलावा कुछ देश ऑब्जर्वर, डायलॉग पार्टनर और मेहमान के रूप में भी इसके सम्मेलनों में हिस्सा लेते हैं.