कोरोना: क्या भारत में फिर से लॉकडाउन लागू करना पड़ेगा?

lockdown again

कोरोना कंट्रोल में नहीं है। हर दिन मामले बढ़ रहे हैं और लॉकडाउन फिर (again lockdown) से बढ़ने की आशंका भी। दिल्ली, मुंबई और कई महानगर खतरे में हैं। इस सबके बावजूद ‘इकॉनमी’ चलाने के लिए लॉकडाउन खत्म हो गया है। सरकार दोतरफा फंसी है। उसे लोगों की जान भी बचानी है। दूसरी तरफ इकॉनमी में भी जान फूंकनी है। इसी डायलेमा के चलते सरकार का क्लियर स्टैंड नहीं है। खैर, मोदी जी ने कहा था कि हमें जान भी बचानी है और जहान भी। इसका मतलब यह है कि सरकार लोगों की जान बचाने के साथ-साथ इकॉनमी भी बचाना चाहती है।

Lockdown में इकॉनमी बचाना वाजिब भी है

भारत समेत दुनियाभर में पहले ही आर्थिक सुस्ती छाई हुई थी। ऊपर से कोरोना ने बेड़ा गर्क कर दिया। भारत जैसे कम फिक्स्ड नौकरियों वाले देश में इसका असर और भी बुरा पड़ रहा है। कोरोना के खतरे से जूझ रहे लोग किसी तरह गांव पहुंचे लेकिन बेरोजगार हो गए। अब उनके सामने मौत के दो ऑप्शन वाला माहौल हो गया है। या तो वे कोरोना के खतरे को नजरअंदाज करते हुए शहर लौटें। या फिर बेरोजगार और गरीब रहकर गांव में भूखे मरें। पहले ऑप्शन में एक की जान का खतरा है लेकिन दूसरे में पूरा परिवार मर सकता है।

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स्वास्थ्य का क्या होगा?

सबसे ज्यादा अनिश्चितता इसी को लेकर है। लगभग 3 महीने बाद भारत में कोरोना को लेकर कुछ भी ठोस तय नहीं हो पाया है। अस्पतालों की मनमानी जारी है। सरकारें अपनी सुविधानुसार टेस्टिंग कर रही हैं। मरीज मर रहे हैं। हर दिन आश्चर्यजनक आंकड़े सामने आ रहे हैं। अस्पतालों की बुरी कंडिशन मुंह चिढ़ा रही है। ऐसे में इस बात का भरोसा नहीं होता कि अगर भारत में कम्युनिटी स्प्रेड हुआ तो हमारे अस्पताल इसे संभाल पाएंगे।

अभी भी सरकारें लॉकडाउन और नियमों को लेकर ना तो सख्त हैं और ना ही स्पष्ट। पुलिस थक गई है और प्रशासन हताश हो गया है। दो महीने से घरों में बंद लोग अब सड़कों पर हैं और कोरोना को उसके खूब सारे शिकार दिख रहे हैं। इस स्थिति में यह कहा जा सकता है कि आखिरकार हताश होकर कहीं सरकार फिर से लॉकडाउन (again lockdown) ना लागू कर दे।

टीवी न्यूज ने कोरोना खत्म कर दिया है, जनता अपनी जान बचाए

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