देश के इन तीन रत्नों को मिला ‘भारत रत्न’….जानिए हैं कौन

कुछ मौके किसी भी देश के लिए बेहद खास होते हैं. खास तौर पर जब राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर बैठा व्यक्ति एक वक्त के बाद फिर एक आम नागरिक हो जाता है, उसी तरह वह भी कतार में खड़ा होता, जैसा आम नागरिक. अच्छा लगता है जब उसे उसके कार्यों के चलते देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया जाए. कुछ को यह पुरस्कार जीते जी मिलता है, कुछ को मरणोपरांत.

भारत के पूर्व राष्ट्रपति बेहद सादे अंदाज में, एक आम नागरिक की तरह राष्ट्रपति भवन पहुंचे. उन्हें राष्ट्रपति भवन में भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति भवन में बेहद खूबसूरत नजारा रहा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया.

जनसंघ के प्रवर्तक नानाजी देशमुख को मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया है. असम के प्रसिद्ध गायक भूपेन हजारिका को भी मरणोपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

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आइए जानते हैं तीनों भारत रत्न से सम्मानित लोग हैं कौन?

प्रणब मुखर्जी

अपने 5 दशक के राजनीतिक सफर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सत्ता के कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला. प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. मनमोहन सिंह सरकार में वे 2009 से 2012 तक भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री भी रहे. 2012 से 2017 तक वे राष्ट्रपति पद पर रहे.

(पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, फोटो सोर्स- AIR)

प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने की जब घोषणा हुई थी तब लोक सकते में आ गए थे. धुर दक्षिणपंथी पार्टी मानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की सरकार ने कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने का फैसला किया तो कई सवाल उठे. अपने जीवन काल में प्रणब मुखर्जी ने बीजेपी के खिलाफ खूब बोला. उनकी विचारधारा बीजेपी से अलग रही, लेकिन बीजेपी सरकार ने ही उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की. प्रणब मुखर्जी 2017 में रिटायर हुए. करीब ढाई साल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ट्यूनिंग अच्छी रही.

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भूपेन हजारिका
भूपेन हजारिका असम के बड़े गायक रहे. बंगाल, बाग्लादेश और अमस के स्थानीय संगीत को हिंदी फिल्म जगत तक खींचने में भूपेन हजारिका का भी नाम शामिल है. सुधाकंठ के लिए उनहों नेशनल फिल्म अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें पद्म श्री, दादा साहेब फाल्के, पद्म विभूषण का भी पुरस्कार मिला है. इसके अलावा उन्हें अन्य सम्मानों से भी सम्मानित किया गया है.

भूपेन हजारिका को मिला मरणोपरांत सम्मान

सामाजिक क्षेत्रों से लेकर रोमैंटिक गानों तक भूपेन हजारिका ने उल्लेखनीय काम किए हैं. अमस संगीत में उन्होंने बिस्तिरनो परोरे, मोइ इति जाजाबो, गंगा मोर मा और बिमुर्तो मुर नक्षति जेन जैसे गीतों को संवारा है. संगीत और समाज के लिए किए गए उनके काम बेहद प्रशंसनीय रहे.

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नानाजी देशमुख
नानाजी देशमुख का जन्म 11 अक्टूबर 1916 में हुआ था. हिंगोली के छोटे से कस्बे में जन्में देशमुख 1977 से 1979 तक उत्तर प्रदेश के बलरामपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे. नानाजी देशमुख11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर हिंगोली में जन्मे नानाजी देशमुख ने 1977 से 1979 तक लोकसभा में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

सन 1999 से 2005 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे. नानाजी देशमुख को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है. भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक नानाजी देशमुख ने पूरे भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्कूलों की एक विस्तृत श्रृंखला स्थापित की थी. संघ के स्कूलों में राष्ट्रवाद से प्रेरित शिक्षा दी जाती है.

सामाजिक कार्यकर्ता भूपेन हजारिका (फाइल फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)

वैचारिक प्रतिबद्धता इतनी थी कि 94 साल उम्र में भी वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे. 1974 जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया था, तब भी नानाजी देशमुख ने जेपी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. नानाजी देशमुख ने 1977 में जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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