बाबा साहब की बेटी ‘चमार रैप क्वीन’ है

हेडलाइन से आहत होने वाले सावधान! पहले पूरा पढ़ लें.

हुंदे असले तो वद ड़ेंजर चमार( हथियारों से अधिक खतरनाक हैं चमार)- यह एक रैप है, जिसे एक दलित परिवार में जन्मी 19 साल की गुरकंवल भारती ने गाया है. यह यूट्यूब और फेसबुक पर गिन्नी माही के नाम से अधिक मशहूर है. यह आज ‘चमार रैप क्वीन’ मानी जाती है.

गिन्नी पंजाब के सबसे अधिक दलित आबादी वाले क्षेत्र जालंधर से है. यहाँ रहने वालों को अब अपनी जाति बताने में शर्म नहीं आती. यह कहते हैं कि “गर्व से कहो हम चमार हैं, पुत्त चमार दें”. जाति से जुड़े संगठनों ने भी अब अपने बैनर्स पर सबसे ऊपर लिखना शुरू कर दिया है ‘गर्व से अपनी जाति के बारे में कहो’. यहाँ अब बात ‘चमार रैप’ की होती है. बात गिन्नी के गानों की होती है.

अब आलम यह है कि सिर्फ गिन्नी ही नहीं, इस समुदाय के हर गायकों की एक पूरी पीढ़ी इसे लेकर सक्रिय है. ये समुदाय लगातार चर्चे चमार दें, डेंजर चमार आदि गीतों से अपने समाज को अपने पर गर्व करने के लिए प्रेरित कर रही है.

गिन्नी के वीडियो को अलग अलग चैनल्स पर लाखों हिट्स मिले हैं. इस छोटी सी उम्र में गिन्नी राजनीतिक और सामाजिक तौर पर काफी जागरूक है. वो बाबा साहब अम्बेडकर से प्रेरित है और वह अपने गीतों में भी अपने आप को बाबा साहब की बेटी ही करार देती है. वो कहती है कि वह अपनी दमदार आव़ाज से ही लोगों को सामाजिक पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए कोशिश करती रहेगी.

गिन्नी ने अब तक 1000 से ज्यादा स्टेज शो किया है और उसका सपना बॉलीवुड में प्ले बैक सिंगर बनने का भी है. ये बदलाव सिर्फ बदलाव नहीं एक प्रेरणा है. ऐसे सभी समुदायों के लिए. आज के दिन बाबा साहब की जयंती पर गिन्नी को सलाम. ऐसी तमाम कोशिशों को सलाम .

सच पूछिए तो अम्बेडकर जयंती पर हर साल उनकी कहानी सुनाने से ज्यादा अच्छा होगा, उनके गिन्नी जैसे बेटी-बेटों की कहानी सुनना.

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