मुंबई को हर साल आने वाली बारिश की बाढ़ से कैसे बचाएंगे?

मुंबई शहर देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। हर सुख-सुविधाओं वाले इस शहर को मायानगरी भी कहा जाता है। मुंबई के बारे में कहा जाता है कि यह कभी रुकती नहीं है लेकिन हर साल एक ऐसी चीज आती है, जिसके आगे मुंबई बेबस हो जाती है। ट्रेनें रुक जाती हैं, सड़कें भर जाती हैं और कुछ ही दिनों में करोड़ों-अरबों का नुकसान होता है। यह है बारिश और उसका पानी।

हर साल सिर्फ मॉनसून की बारिश ही मुंबई को रोक देती है। ट्रेनों के ट्रैक पर पानी भर जाता है, सड़कों पर पानी भर जाता है, नाले चोक हो जाते हैं और मायानगरी थमने लगती है। यह हालत सिर्फ मुंबई के गरीब इलाकों की नहीं है, कई बार बड़े पैसों वालों और अमीरों के घर तक में पानी भर जाता है। हर साल कहने को तैयारियां भी होती हैं लेकिन बारिश होते ही ऐसा लगता है कि मुंबई में कुछ काम हुआ ही नहीं।

लोकल डिब्बा को फेसबुक पर लाइक करें।

द्वीपों को जोड़कर बनाई गई थी मुंबई

आइए आपको मुंबई के बारे में कुछ बताते हैं। आज से लगभग दो सौ साल पहले मुंबई की जगह पर कई छोटे-छोट द्वीप थे। धीरे-धीरे इन्ही द्वीपों को जोड़कर मुंबई शहर बसा दिया गया। अंग्रेजों ने यह काम शुरू किया और आजादी के बाद भी मुंबई बनाने का काम जारी रहा और यह देश के सबसे बड़े शहरों में से एक निकला। हालांकि, समुद्र पर कब्जे की यह गलती मुंबई के लिए आजीवन बनी रहने वाली एक समस्या बन गई है।

इस साल भी भारी बारिश के चलते मुंबई शहर में ही 25 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कई लोग घायल हैं तो कई घर तबाह हो गए हैं। इसके अलावा आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हर साल यही होता है। लोग बारिश के चलते घर गंवाते हैं, अपने लोग गंवाते हैं। कुछ बीमार होते हैं और अपनी अच्छी खासी कमाई गंवा देते हैं, कुछ तो नौकरी भी गंवा देते हैं। 2005 और 2017 में भयंकर बाढ़ में मुंबई ने बहुत कुछ सहा लेकिन हम आजतक इसका सटीक समाधान नहीं खोज पाए हैं।

बेघर होने की राह पर 10 लाख आदिवासी! दोष किसका?

क्लाइमेट चेंज की वजह से बढ़ रही बारिश

ग्लोबल वार्मिंग से ना सिर्फ मुंबई बल्कि पूरी दुनिया परेशान है और इसका कारण भी लोग खुद ही हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, पिछले 100 सालों में मुंबई का औसत तापमान 2.5 डिग्री बढ़ गया है, जिसके चलते बारिश का समय और मात्रा बढ़ गया है। पहले की तुलना में जनसंख्या, बिल्डिंग और सड़क बढ़ गई है लेकिन जलनिकासी की सुविधा उस अनुपात में नहीं बढ़ी है। समुद्र के नजदीक होने के चलते भयंकर बारिश को मुंबई झेल नहीं पाती है और कुछ घंटों में ही तालाब बनी नजर आती है।

कचरा और नाली सफाई

पिछले 50 सालों में मुंबई की जनसंख्या बेतहाशा बढ़ी है। देशभर से लोग यहां रोजी-रोटी की तलाश में पहुंचते हैं लेकिन स्वच्छता को लेकर हमारी ढिलाई ने मुंबई को बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में और गंदा बना दिया है। इस शहर में नालियों और नालों का बहुत पुराना नेटवर्क है लेकिन समय के साथ ना तो इसे अपडेट किया जा सका है और ना ही इसके लिए नए विकल्पों पर बेहतर काम हुआ है।

हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये सिर्फ नालियों की सफाई के लिए खर्च होते हैं लेकिन बारिश होते ही नालियां चोक हो जाती हैं। नालियों की क्षमता से ज्यादा पानी अचानक से आता है और उनमें पहले से फंसा कचरा और मिट्टी पानी को रोक देते हैं, जिससे सड़कों पर पानी भर जाता है और यही पानी घरों में भी घुसने लगता है। कहीं-कहीं यही पानी घरों की नींव में घुस जाता है, जिससे पुराने मकान धंस जाते हैं या टूट जाते हैं और लोग उनमें दबकर मर जाते हैं।

क्या हो मुंबई को बचाने का तरीका?
सबसे पहले तो जलनिकासी के लिए व्यापक तौर पर ऐसा प्लान तैयार करने की जरूरत है, जिससे ज्यादा से ज्यादा पानी कम समय में निकाला जा सके। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इस प्लान को कम से कम समय में लागू किया जा सके, जिससे आने वाले समय में  कम से कम नुकसान झेलना पड़े। हर साल होने वाली नाले-नालियों की सफाई की मॉनिटरिंग भी जरूरी है, जिससे यह सुनिश्चित हो कि जितना पैसा खर्च हो रहा है उतने का काम भी हो रहा है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *