इंटरनेट डकैती: रकम देने के बाद भी पिंड ना छोड़ने वाला भूत

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पुराने जमाने में डकैती या चोरी कैसे होती थी? घोड़े पर विराजमान होकर अपराध जगत के देवता लोग आते थे या कोई निपुण राजगीर टाइप मानस दीवार की सेंध काट देता था और माल लेकर रफूचक्कर हो जाता था। अब जमाना इंटरनेट वाला हो गया है, घर बैठे आपके कम्प्यूटर में कब सेंध लग जाये, ये तो ब्रम्हा, विष्णु ,महेश भी ना बता पाए। हाल ही में विश्व भर की मानिंद संस्थाओं पर वानाक्राई और पैट्या नामक मालवेयर से हमला हुआ और लोगों के जरूरी दस्तावेजों पर सेंध लगी और लोगों से बिटक्वाइन में फिरौती मांगी गई। अब आगे और लिखूं इससे पहले जान लो बिटक्वाइन क्या होता है?

बिटक्वाइन दरअसल, वर्चुअल करेंसी है जो इंटरनेट पर इस्तेमाल होती है और यह किसी भी कानूनी लंपट से बाहर है, माओ के चीन में तो यह बैन है पर अन्य कई देशों में इसका यूज होता है।

फिरौती में क्या होता है? पैसा देकर जान छूटती है लेकिन इंटरनेट पर हो रहे लगातार हमले में ऐसा नहीं है कि वो आप से फिरौती मांगने के बाद आपको बाय डूड कहकर आपकी अमानत आपको लौटा ही दे, बल्कि ये लोग तो नईहर(मायका) के ब्रह्म(भूत) की तरह आपके पीछे लगे रहेंगे।

हाल ही में विश्व भर में साइबर हमला हुआ, ई तो आपको पता ही होगा। लपड़े लोचे में ना पड़ने वाले लोग तो हमला करने वाले लोगों को जमानत राशि अदा करके पीछा छुड़ाने की बात कहते होगें । दरअसल, होता ये है कि इंटरनेट वाली डकैती में बिटकॉइन वाली रकम देने के बाद इंटरनेटिया डाकू की शर्तों के अनुसार, वो आपको एक कोड देते हैं जिससे आपकी लॉक हुई फाइल या कम्प्यूटर खुल जाता है।

लेकिन अब जो बात सामने आ रही है उसमें यह है कि आप से उ फिरकी ले रहे  है उ भी इक्टठे नहीं समझे? अरे बात इ है कि जो कोड फिरौती के बाद इन मनचलों को देना होता है उस कोड को यह एक्के जैसा सबको दे रहे है और फिर जब आप अपने लॉक हुए सिस्टम को खोलने जा रहे हैं तो वो कोड उड़न छू हो जा रहा है मतलब डिलीट हो जा रहा है। खैर चोर लुटेरे कब ईमानदार हुए हैं जो अब होंगे। तो बात का सार इ है बाबू, रैनसमवेयर से बचने का इलाज है अपने सिस्टम को अपडेट रखना और अंगारे वाली दीवार यानी फायरवॉल और अन्य एंटी वायरस से प्रोटेक्ट कर के रखो, नहीं तो दरोगा जी चोरी हो गई गाते फिरोगे।


यह लेख नवीन राय ने लिखा है।

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