पॉलिटिकल लव: थोड़ा इंटरनेशनल क्यों नहीं होते तुम?

तुम भी प्यार में थोड़ा उबाल लाओ न जैसे देश भारत-पाकिस्तान मैच के लिए ला रहा है।
क्यों ऐसे अच्छा नहीं लगता मैं? तुम्हें जरूरी है बनवाटी उबाल लाना।
गुस्सा न हो मैंने तो बस ऐसे ही बोल दिया।

देखो तुम आज गुस्से में हो। गुस्से में कहीं कुछ अनिवार्य मत कर देना, जैसे देश में आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है, तुम मेरे पर्सनल स्पेस को खत्म मत कर देना जो देश करने पर लगा हुआ है।

अरे बाबा मैं गुस्सा नहीं हूं। बस थोड़ा सोच रहा हूं कि प्यार में सब बराबर कर दूं।
क्यों प्यार में जीएसटी लाने वाले हो क्या? देखो कहीं प्यार में कई बातों पर लग्जरी टैक्स न लग जाये जैसे सैनिटरी नैपकिन पर लगा।
हाहाहाहा

हमें अब शादी कर लेनी चाहिए तो इसके लिए सबको मनाना होगा न?
क्यों शादी करने वाले हो या राष्ट्रपति का चुनाव।
हाहाहाहाहा

तुम आजकल बड़ी मांग करने लगी हो महबूबा हो या गोरखा जनमुक्ति मोर्चा?
तुम न! बोलो मत मुझसे, तुम भी सरकार की तरह बस बात-बात पर आर्मी लगा देते हो।
ऐसे न बोलो, मैं तो तुम्हारी सारी मांगें मान लेता हूं, मैं कोई सरकार थोड़ी न हूं।

तुम मेरी कोई बात सुनते क्यों नहीं हो, मुझे क्या देश का किसान समझ लिए हो? तुम्हें मेरी तकलीफ दिखाई नहीं देती। जैसे सरकार को किसानो की नहीं दिखाई देती।
ऐसे न बोलो मैं तुमसे वैसे प्यार करता हूं जैसे सरकार उद्योगपतियों से करती है।
अपने आप को किसान न समझा करो।

अच्छा एक बात पूछूं, तुम भी क्या मुझे डे डे पर याद करोगे? जैसे आज लोग मदर डे पर मदर को और फादर्स डे पर फादर को करते हैं?
नहीं यार मैं कोई दिखावटी काम नहीं करता।
अच्छा सुनो आज इंटरनेशनल पिकनिक डे है कहीं बाहर घुमा लाओ।
ठीक है साल में बस पिकनिक डे को ही बाहर निकलेंगे।
हाहाहा
तुम प्यार में कुछ इंटरनेशनल क्यों नहीं होते।
क्यूंकि हम लोकल हैं और लोकल डिब्बे पर सवार रहते हैं।
हाहाहाहा

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