पॉलिटिकल लव: भारतीय राजनीति का धरनेबाज आशिक कौन?

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तुम तो मेरी तरफ देखते तक नहीं हो।
कैसे देखूं, हर बात पर ज़िद करे बैठी रहती हो।
अरे तो कौन सुनेगा मेरी ज़िद ये बताओ?
लेकिन हर बात पर तो ज़िद अच्छी नहीं लगती न!
मैं तो करूंगी और तुम्हें मानना भी पड़ेगा।
मैं तो मान लूंगा, देखो नसीब वाले फूफा कब दिल्ली वाले मौसा की मानते हैं।
अरे उनको रहने दो वे दोनों ही ऐसे हैं।

 

यार लाइट नहीं आ रही है।
कहाँ हो तुम यह बताओ?
यूपी में हूँ मेरी जान।
अच्छा वहाँ 90% बिजली चोरी कर लेते हैं न!
अरे तुम भी न 90% बिजली आती भी है, जो चोरी होगी।
यह भी सही कह रहे हो तुम।

 

चलो मूवी देख कर आते हैं।
वाह जी, क्या बात है आज बड़े मूड में हो!
हां जल्दी तैयार हो जाओ।
अच्छा कौनसी मूवी दिखाने वाले हो?
रेस 3 देखेंगे।
बस-बस तुम ही देख आओ अकेले मुझे नहीं जाना ।

 

तुम्हारा काला धन बदला या नहीं?
अरे मेरे पास कौन सा काला धन था जी?
अच्छा फिर किसका काला धन है जो जन-धन में बदला है?
अरे बाबा उन्हीं का बदला होगा जो बड़े-बड़े पार्टी ऑफिस बना रहे हैं।
चलो नोटबंदी का किसी को फायदा तो हुआ।
किसी को नहीं, बस उन्हीं को हुआ है।
अच्छा तभी उनके लोग फायदे गिनवाते फिरते हैं।
सही पकड़ी हो।

 

तुम्हारे घर तक कुछ बात पहुँचानी है।
क्या बात है बताओ हमें।
अरे तुम्हें नहीं बता सकते हम।
अरे क्यों डीएनए में खोट वाली बात है क्या?
अरे तुम नागपुर वाले थोड़ी हो जो डीएनए में खोट होगा।

 

तुम मेरे लिए बेड ले आओ।
क्यों तुम सोफे पर नहीं सो पाती क्या?
अरे सोफे पर सोना आसान है क्या ?
आसान तो नहीं है लेकिन सो तो सकते ही हैं।
तुम सो लेना मेरे बस की नहीं है सोफे पर सोना।
अच्छा बाबा ठीक है अब इस बात पर धरना न दे देना ।

 

तुम मेरी बात नहीं सुनती हो।
तो आ जाओ मेरे घर।
क्यों घर आने से सुनने लगोगी क्या?
अरे सुन लेंगे मेरे घर तो आओ मेरी जान।
अच्छा देख लो कहीं घर के बाहर ही धरना देना पड़े हमें?
चिंता मत करो मेरे घर में LG का कुछ नहीं है।
लेकिन तुम्हारे घर वाले तो हैं उसी साइड वाले।
वो तो है मेरी जान।

 

तुम कुछ करते क्यों नहीं हो ?
अरे करता तो हूँ तुमसे प्यार।
अरे बाबा खाली प्यार से क्या होगा?
तो क्या फिर योगा से ही होगा?
होगा तो बस योगा से ही पर पत्थर वाला योगा करना होगा तुम्हें।

 

तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
अच्छा कितने साल तक नहीं बिगाड़ सकते ये बताओ?
एक साल तक तो सोचना भी मत।
अच्छा उसके बाद सोचना शुरू कर दें क्या?
हां जब मैं कर्नाटक से आ जाऊं तब भले सोच लेना।
वैसे भी जब तक हाथ का साथ है तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता।
वो तो ठीक है लेकिन 2019 तक साथ रहेगा हाथ इसी पर डाउट है।

 

तुम पहले क्या करते थे ?
मैं पहले गुलाब बेचता था।
अच्छा तभी तुम अब प्यार करने लगे हो।
हां, सही पकड़ी हो।

 

यार हमारे घर वाले कब मिलेंगे?
अरे अभी टाइम नहीं आया है।
कब आएगा टाइम, कोरिया वाले फूफा मिल लिए अब तो।
हां तो, वो लोग लड़े थे तब मिले हैं।
अच्छा तो अब पहले घर वालो की लड़ाई करवानी पड़ेगी?
कभी-कभी बिना बोले समझ जाती हो तुम।

About Post Author

अभय

अभय पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट रहे हैं। वर्तमान में पॉलिटिकल लव से उनकी पहचान बन रही है। राजनीतिक और सामाजिक विषयों को ह्यूमर और इश्क के साथ पेश करना अभय की कला है।
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