वे मुद्दे जिनपर सवाल पूछते ही आप ‘देशद्रोही’ हो सकते हैं

समस्त देशवासियों को मेरा नमस्कार,

आज हमने गत वर्षो की भांति गणतंत्र दिवस मनाया। कोई बदलाव नहीं हुआ, कुछ नया नहीं हुआ, विगत वर्षों में मनाए गए गणतंत्र दिवस में और आज 69वें गणतंत्र दिवस पर, कुछ बदलता भी है तो वह है गिनती, 68वां मनाया था, 69वां मना रहे हैं और 70वां मनाएंगे, सुबह आएंगे ध्वजारोहण होगा राष्ट्रगान होगा उसके बाद, जय राम जी की, हमें नहीं मतलब है हमारे देश में क्या हो रहा है और क्या नहीं हो रहा है। हम आबाद हो रहे हैं या बर्बाद हो रहे हैं, हमें कोई परवाह नहीं है, हम कहां थे और कहां पर हैं और कहां होंगे हमें कुछ नहीं पता है, हम सब कर्तव्य विमूढ़ हो चुके हैं, हम अगर कुछ कर रहे हैं, कहीं पर व्यस्त हैं, हमारे देश का जवान अगर कहीं व्यस्त है, तो वह है सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरपंथी, हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सब एक दूसरे के प्रति द्वेष की भावना फैला रखे हैं। कट्टरपंथी बनो अपने धर्म का पालन करो, अच्छी बात है लेकिन धर्मांध ना बनो, दूसरे के धर्म को बुरा ना कहो, यह बात मैं ही नहीं कहता अपितु बड़े बुजुर्ग और सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथ कहते हैं, हम सब इन मुद्दों में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि हम अपने मूल मुद्दों को भूल चुके हैं, मूल मुद्दे जैसे अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और नौकरी आदि।

चलिए शुरुआत करते हैं अर्थव्यवस्था से- भारत की जीडीपी का 30 साल का औसत निकालने पर 6.6 प्रतिशत आता है और भारत सरकार का अनुमान है कि 2017 18 में ग्रोथ रेट 6.5% रहेगा मतलब हम 30 साल के औसत से नीचे चले गए हैं पिछली बीती हुई 2 तिमाही की जो ग्रोथ रेट रही है वह बहुत निराश करने वाली है, अर्थव्यवस्था की कमर टूटी हुई है लेकिन हमें कोई मतलब नहीं क्योंकि हम हम मशगूल हैं हिंदू मुस्लिम में।

 

अब बात आती है नौकरी और रोजगार की– अर्थव्यवस्था की कमर टूटी हुई है सभी सेक्टरों में गिरावट है तो जाहिर सी बात है कि नौकरियां कम हैं जिसके चलते नई नौकरियों का सृजन नहीं हो पा रहा है लेकिन आपको तो चिंता करने की जरूरत ही नहीं है, आप हिंदू मुस्लिम करिए, सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ता जा रहा है कोई नई योजनाएं आने नहीं वाली आपको नौकरियां मिलने नहीं वाली सरकार का दावा था पांच से सात करोड़ रोजगार पैदा करने का परंतु वर्तमान में केवल 25लाख नौकरी ही हैं, कभी सरकारों के चयन आयोग से आपने पूछा है कि ऐसा क्यों हो रहा है, वह सब मिलकर आपको उल्लू बना रहे हैं, जय हो हिंदू मुस्लिम की, बजाते रहो ढपली और सुनते रहो अपने-अपने राग।

हमारा अगला मुद्दा है शिक्षा और स्वास्थ्य- हमारी शिक्षा का स्तर कैसा है हम सब जानते हैं नगरी इलाकों के विद्यालय बेहतरीन ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों से नगर में रहने वाले नागरिक जागरूक हैं गांव में रहने वाले नागरिकों की अपेक्षा नगरों में भी सरकारी स्कूल हैं और गांवों में भी सरकारी स्कूल हैं परंतु नगर के सरकारी स्कूलों में बच्चे अधिक और गांव के सरकारी स्कूलों में बच्चे कम होते हैं अब आप यह मत कहिएगा कि नगर की जनसंख्या अधिक होती है और गांव की जनसंख्या कम होती है हमारे देश में कई तरीके के अभियान चल रहे हैं, सर्व शिक्षा अभियान, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, अल्पसंख्यक समुदाय के लिए अलग से शिक्षा अभियान परंतु फिर भी हमें किसी भी प्रकार के कोई सकारात्मक परिणाम नहीं प्राप्त हो रहे हैं, अब ऐसा क्यों है यह तो हमारे देश के नागरिकों को ही सोचना होगा साथ में ही सरकारों को भी, क्योंकि अभियान चला देने से ही सब कुछ नहीं हो जाता अभियान का क्रियान्वयन कैसे हो रहा है, अभियान को चलाने वाले क्या योजना बना रहे हैं, सरकार की मंशा के अनुरूप काम हो रहा है या नहीं, अभियान के प्रति किस की जवाबदेही है जब तक यह सब नहीं सुनिश्चित किया जाएगा तब तक आप कुछ भी कर लें सफल नहीं होने वाले।

मुख्य रूप से बात करें तो शिक्षा में विश्वविद्यालय और उनसे संबंधित महाविद्यालय इनका सबका का बहुत ही बुरा हाल है विश्वविद्यालयों की क्रियान्वयन प्रणाली इतनी ढीली है कि अगर कोई परीक्षा जनवरी में होती है तो उसका रिजल्ट मई में आता है कई विश्वविद्यालयों से संबंधित ऐसे महाविद्यालय हैं जो डिग्री बांटने का धंधा चला रहे हैं हमारे विश्वविद्यालय नकल विहीन परीक्षा कराने में बहुत ही कोशिश करते हैं फिर भी नहीं रोक पाते उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश इन सभी राज्य में शिक्षा का हाल बेहाल है।

अंतिम मुद्दा है स्वास्थ्य हमारे देश में बड़े बड़े अस्पताल हैं बहुत से सरकारी हैं बहुत से निजी हर ग्राम पंचायत पर एक चिकित्सालय है और अगर इन चिकित्सालयों पर हम एक नजर डालें तो हम इनकी दयनीय स्थिति को बयां नहीं कर सकते यह चिकित्सालय स्वयं में ही इतने बीमार हैं कि यह किसी मरीज का इलाज क्या करेंगे इन चिकित्सालय में दवाइयां नहीं होती डॉक्टरों की तैनाती नहीं होती, होती है तो डॉक्टर आते नहीं हैं अगर देश में चिकित्सा में कोई सेवा दे रहा है तो केवल वह बड़े बड़े अस्पताल ही हैं लेकिन उनकी फीस इतनी महंगी है कि गरीब आदमी वहां जाने से डरता है।

यह जो भी मुद्दे मैंने बताए हैं इन्हें छोड़ कर, किसी मुद्दे की आपको चिंता है तो वह है सांप्रदायिकता फालतू के विवादों में आप पड़े रहना चाहते हैं आप सभी को मूल मुद्दों की कोई जरूरत नहीं है। अगर आपके सामने हिंदू मुस्लिम पर एक डिबेट रख दी जाए सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया जाए तो आप अपने जीवन के 10 से 12 साल ऐसे ही गवा सकते हैं, हम कितने धर्मांध हो चुके हैं या यूं कह लें कि हम अज्ञानी हो चुके हैं, सोशल मीडिया से लेकर के प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक हर जगह वही मुद्दा, तर्क-कुतर्क साम दाम दंड भेद कुछ भी करके आपको अपने धर्म को बड़ा सिद्ध करना है। इन मुद्दों से निकलकर बाहर आइए बहुत से काम है जो आप सबको करने हैं देश को अगर वास्तव में उच्च शिखर तक पहुंचाना चाहते हैं तो अपनी जिम्मेदारी समझिए सरकार से सवाल पूछिए कि वह क्या कर रही है।         

हम अपनी सरकार को चुना है,  सरकार ने हमको नहीं चुना है, सरकार से प्रश्न पूछो सरकार की जवाबदेही बनती है आपके प्रति वह जिम्मेदार हैं जो भी इस देश में जो भी घटित हो रहा है, इसके लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं,उनको यह भी बताना पड़ेगा, रोज रोज नए नए इवेंट आर्गनाइज़ करने से कुछ नहीं होने वाला, आप इन से खुश ना होइए, आप अगर सरकार से सवाल नहीं पूछेंगे तो सरकार आपको भटकाती रहेगी आप को मूल मुद्दों तक कभी आने ही नहीं देगी, एक एक प्रश्न पूछो देखो क्या उत्तर मिलता है नहीं पूछोगे तो आपको कोई कुछ बताने नहीं आ रहा है, सरकारी ताकतें आपके सपनों के साथ खिलवाड़ करेंगी, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो भजन करिएगा आप, हवन करिएगा और यूं ही गणतंत्र दिवस मनाते रहिएगा ,साथ में हिंदू-मुस्लिम-हिंदू-मुस्लिम करते रहिएगा।

 एक मुख्य बात और 2000 में जन्मे लोग इस वर्ष मतदाता हो जाएंगे आप देश के जागरूक मतदाता बने इसलिए इन सब मुद्दों पर ध्यान दें आपसे विनम्र प्रार्थना है जय हिंद जय भारत।

गणतन्त्र दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई।                                                                      

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *