बहुत मुश्किल है अब कुछ भी यक़ीनी तौर पर कहना
फ़लक से तोड़कर क़िस्सा ज़मीनी तौर पर कहनाबहुत मुश्किल है अब कुछ भी यक़ीनी तौर पर कहना. किसे चाहें किसे…
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
फ़लक से तोड़कर क़िस्सा ज़मीनी तौर पर कहनाबहुत मुश्किल है अब कुछ भी यक़ीनी तौर पर कहना. किसे चाहें किसे…
हर सरहद को तोड़ ही देगी आज़ादी दुनिया भर को घर कर देगी आज़ादी. दिल में रह-रह मौज उठेगी आज़ादी…
इसी इक मोड़ पर अक्सर गिरा जाता है ऊंचाई से अपनी ज़ात और ख़ाका मिटाया जाता है सब कुछ हो…
आप की याद भी बस आप के ही जैसी है, आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है।
कभी तो सामने आ बे-लिबास हो कर भी, अभी तो दूर बहुत है तू पास हो कर भी. तेरे गले…