मिलती मुद्दत में है और पल में हँसी जाती है
आप की याद भी बस आप के ही जैसी है,
आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है।
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
आप की याद भी बस आप के ही जैसी है,
आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है।
किसी गांव में एक मुंशी रहता था, नाम था खटेसर लाल। बहुत धूर्त और काइंया किस्म का आदमी था। जितनी भद्दी शक्ल उतनी ही बुरी...
अनुज को सब याद है….. पिंक स्वेटर का डिज़ाइन जो माँ ने खान आंटी से सीखा था, उस स्वेटर का ऊन जो चौक से खरीदकर...
मोहित,सोनू और इरफान की दोस्ती के चर्चे पूरे कस्बे में मशहूर थे। आखिर कौन भूल सकता था, जब कल्लू ने इरफान की बहन को छेड़ने...