H1B की रपट से हिला आईटी कम्पनियों का बजट

जैसे जैसे अमेरीका के नये नवेले राष्ट्रपति अपना चुनावी वादा पूरा करते जा रहें हैं वैसे वैसे दुनिया भर के लोगों का जीना दुश्वार होता जा रहा है| पहले से ही ट्रम्प के शरणार्थियों और मुसलमान बहुल देशों पर बैन ने लगभग पूरी दुनिया का चैन चुरा रखा है| अब ट्रम्प के इस नये एच 1 बी वीजा बिल नामक ट्रम्प कार्ड ने भारतीय आईटी कम्पनियों का गेम कर दिया है| इस गेम की शरुआत की खबर आते ही भारतीय आईटी कंपनियों के शेयर ढनमना गए| महज एक घंटे में 5 बड़ी आईटी कम्पनियों की मार्किट वैल्यू 50 हज़ार करोड़ तक गिर गई|

दरअसल, अमेरिकी संसद में एच1बी वीजा बिल पेश किया गया है| यह एच1बी वीजा ऐसे विदेशी पेशवरों के लिए जारी किया जाता है जो ‘खास’ काम में कुशल होते हैं| इसके लिए आम तौर पर आपको ऊँचे दर्जे की खास पढाई करनी होगी| फ़िलहाल इस बिल में एच1बी वीज़ाधारकों को न्यूनतम वेतन दोगुने से अधिक करने का प्रस्ताव है| वैसे तो यह वीजा धारकों के वेतन में प्रमोशन का बिल है, पर इस बिल ने इंफोसिस, विप्रो, टीसीएस,एचसीएल टेक जैसे नामी कम्पनियों को हिला दिया है| क्योंकि ट्रम्प के नए बिल में वेतन बढ़ाकर 1 लाख 30 हज़ार डॉलर करने का प्रस्ताव रखा गया है जिसमें हमारी इन कम्पनियों की आय का आधे से अधिक हिस्सा अमेरीका से आता है| उसमें अब गिरावट आयेगी|
नहीं समझे न गुरु! इसे ऐसे समझिये कि अमेरीका हमारे इंजीनियरों को जो अपने यहाँ रखकर भारत को अमीर बनायेगा, काहे नहीं वो इसी पैसे में अपने ज्यादा से ज्यादा और हमारे कम से कम इंजीनियरों को रख ले| हालांकि अमेरिका में हमारे यहाँ के जैसे तुर्रमखां सॉफ्टवेर इंजीनियरों की संख्या अभी कम ही है| इसलिए हो सकता है कि अमेरीका को अंत में हमारे इंजीनियरों के पास ही आना पड़े| फ़िलहाल विदेश मंत्रालय भी इसे लेकर अमेरीका से खफ़ा है और चिंतित भी| भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि “भारत का हित और चिंताएं अमेरीकी प्रशाशन और अमेरीकी कांग्रेस तक वरिष्ठ स्तर पर पहुंचा दी गई है|” अब आईटी कम्पनियों का बजट तो ख़राब हो ही गया है| चलिए देखते हैं हमारा केंद्रीय बजट लोगों की नींद उड़ाती है या चैन की नींद सुलाती है।