पाकिस्तान क्रिकेट लीजेंड इमरान खान के बारे में कहा जाता है कि वो कप्तान नहीं लीडर थे. उन्हें ऐसा इसलिए कहा जाता था क्योंकि अपने खिलाड़ियों पर उनकी धाक रहती थी. इमरान खान ने 1992 में पाकिस्तान को विश्वकप दिलाया था. उसके कई साल बाद भारतीय क्रिकेट टीम में एक लंबे बालों वाला विकेटकीपर आया जो जल्दी ही कप्तान बना, विस्फोटक फिनिशर बना और एक बेजोड़ लीडर बना. लेकिन उसके लीडर कहलाने के पीछे एक नहीं एक हजार से भी ज्यादा कारण हैं. उस लीडर यानि महेंद्र सिंह धोनी का आज जन्मदिवस है.
यह महज संयोग है कि इस जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले धोनी ने इंग्लैंड में अपना 500वां अंतरराष्ट्रीय मैच खेला. उस मैच के ठीक दौरान जब भारत में रात के 12 बजे तो वीरेन्द्र सहवाग का धोनी के लिए सोशल मीडिया पर एक मैसेज आता है, जिसमें जन्मदिन की बधाई देते हुए वे ‘ओम फिनिशाय नमः’ लिखते हैं. अब ये अपने आप में एक कौतूहल का विषय है लेकिन किसी क्लिष्ट हिंदी या संस्कृत की भाषा में धोनी पर यह फिट बैठता है.
धोनी से पहले विश्व क्रिकेट के बहुत बड़े-बड़े फिनिशर भी हुए, जिनमें लांस क्लूजनर, माइकल बेवन जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं, लेकिन उस जगह के लिए महेंद्र सिंह धोनी ने जो झंडे गाड़े हैं उसकी सिर्फ मिसाल ही दी जा सकती है. और ये दो लाइनें उस एक हजार कारणों में से मात्र एक हैं, जो उन्हें लीडर बनाती हैं.
साल 2007, वनडे विश्वकप के बाद भारतीय क्रिकेट में मातम छाया हुआ था, द ग्रेट वाल राहुल द्रविड़ के नाम से समाचार पत्रों की सुर्खियां क्रिकेट प्रेमियों के गुस्से को सातवें आसमान पर पहुंचा रहीं थी. ठीक उसी समय लंबे बालों वाले एक नए विकेटकीपर को टीम की कप्तानी सौंपी गई और उस साल हुए पहले T-20 विश्व कप में भारत का परचम लहर गया और क्रिकेट प्रेमियों का जो गुस्सा सातवें आसमान पर था वो गर्त में चला गया और सातवें आसमान पर गुस्से की जगह किसी और ने ले ली थी.
कारवां उस विश्व कप जीत के बाद चल निकला था. एक के बाद एक सफलताएं, भारतीय क्रिकेट एक और सुनहरे दौर पर चल चुका था. इस बीच बड़े परिवर्तन हुए, कुछ बड़े नामों वाले खिलाड़ी टीम से दूर हुए. टीम की और कप्तान की आलोचनाएं हुईं, क्रिकेट पंडितों के बीच बहसें शुरू हुईं. लेकिन लीडर बनने का कारवां टस से मस नहीं हो रहा था.
साल 2011, विश्व कप की मेजबानी भारत के पास थी. क्रिकेट प्रेमी अपने सपने बुन चुके थे. भारत में क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के लिए विश्व कप जीतने का सपना कुछ ही कदम दूर था. देखते ही देखते टीम इंडिया फाइनल में पहुंच गई. और फाइनल की आखिरी गेंद उसी लीडर के बल्ले से टकराकर वानखेड़े स्टेडियम में बाउंड्री के उस पार बैठे किसी दर्शक के हाथ में जा गिरी. विश्व क्रिकेट समझ रहा था कि यह सिर्फ एक छक्का नहीं था, जिस पर छह रन मिले हों, यह 28 साल बाद घटी एक ऐसी घटना थी जो उनकी जो भारतीय क्रिकेट के जानने वालों की सांसे थाम चुकी थी.
कारवां 2013 में पहुंचा, भारत को एक और अंतरराष्ट्रीय खिताब, चैंपियंस ट्रॉफी पर भी कब्ज़ा, और लीडर वही जिसका जिक्र सहवाग ने ओम फिनिशाय नमः से किया है. दरअसल, एमएस धोनी अब भारतीय क्रिकेट की किवदंती बन चुके हैं. उनका मैदान में उतरना ही एक बड़ी घटना बन गई है. लेकिन जो खास बात है वो ये कि बाउंड्री पार करते हुए दो ग्लब्स, हेलमेट और बैट के साथ जब एमएस धोनी मैदान के अंदर जाते हैं तो वे वही एमएसधोनी बन जाते हैं जो उन्हें लीडर बनाता है. नए खिलाड़ियों को उनकी क्षमताओं तक पहुंचाना, फील्ड में कहां, कौन और कैसे खड़ा होना है उनकी आंखों पर रहता है. विपक्षी खिलाड़ियों को उतना ही सम्मान देना, जीत और हार के बाद एक ही रिएक्शन देना जैसे मानो कुछ हुआ ही नहीं हो.
नए कप्तान विराट कोहली एमएस धोनी के बारे में कहते हैं कि धोनी का मैदान में होना एक संस्था का होना है. वो आगे कहते हैं कि एक कप्तान के तौर पर उनसे जितना सीखा जा सकता है शायद किसी और से नहीं. इस सब के अलावा ग्यारह साल के आईपीएल में लगातार सिर्फ एक ही नाम गूंजता रहा, महेंद्र सिंह धोनी. और वो इस साल फिर से खिताब के लीडर बने.
वही इमरान खान जिनका जिक्र ऊपर किया गया है वो मुंबई में एक बार किसी कार्यक्रम के दौरान कहते हैं कि एमएस धोनी जैसा लीडर क्रिकेट में अभी तक कोई नहीं हुआ है.