सोमालिया भी विश्व का ही हिस्सा है, इसे भी याद रखें

सोमालिया, एक ऐसा देश जहाँ भुखमरी कभी अपने चरम पर थी। एक वक़्त ऐसा था जब इस देश का वजूद लगभग खत्म होने के कगार पर था। सोमालिया के गृहयुद्ध की अपनी ही एक लंबी और भयावह दास्तान है। 2015 में खबर आई थी कि सोमालिया में शांति बहाल हो गयी है, यह घटना पूरे विश्व के लिये एक बड़ी घटना थी।

सोमालिया जैसा देश जिसका आर्थिक ढांचा लगभग ख़त्म हो चुका था, जहाँ हर रोज लोग गोलियों से ज्यादा भुखमरी से मरते थे, उस देश में शांति बहाल किसी चमत्कार से कम न था। सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में हुए आत्मघाती हमले ने एक बार फिर सोमालिया में वही खौफ़ का दौर फिर से लाने का काम किया है। इस हमले में लगभग 300 से भी ज्यादा लोगों के मरने की खबर है। यह हमला बहुत ही भयावह है क्योंकि यह हमला बारूदी ट्रक में विस्फोट करके किया गया है। वहां की सरकार ने इस घटना को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है।

2012 से पहले सोमालिया में कोई केंद्र सरकार नहीं थी, ना ही कोई संविधान था। 2012 में ही सोमालिया में सरकार बनी, संविधान बना और संसद भी बहाल हुआ। सोमालिया में सरकार का बनना एक ऐतिहासिक बात थी क्योंकि सोमालिया को इतिहास से सिर्फ बम धमाके और मौतें ही मिली है और रही सही कसर भुखमरी भी पूरी करती रही।

2015 में 20 साल बाद अमेरिका ने अपना दूतावास बनाया, जब सोमालिया से शांति की खबरें आ रही थी। संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना को सोमालिया में भुखमरी और अकारण हो रही मौतों के बाद हस्तक्षेप करना पड़ा था, मोगादिशु में अमेरिका को अपनी सेना उतारने से बड़ा नुकसान हुआ और अमेरिका ने अपने सैनिकों को वापस भी बुला लिया था।

मोगादिशु में हुए हमले की ज़िम्मेदारी तो किसी आतंकी संगठन ने तो नहीं ली है लेकिन इसमें अल-शबाब जैसे आतंकी संगठन का हाथ बताया जा रहा है क्योंकि अमेरिका द्वारा की गयी कार्रवाई से इस जैसे कट्टरपंथी संगठनों का भारी नुकसान हुआ, इस धमाके को शांति बहाली के विरुद्ध हुए दुश्मनों के कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।

बहुत वक़्त से नजरअंदाज होता यह देश आज फिर से विश्वपटल पर चर्चा का केंद्र बन गया है, बड़े देशों की परेशानियों की चर्चा तो विश्वपटल पर खूब होती है लेकिन हम सोमालिया जैसे आर्थिक रूप से गरीब देशों को नज़रअंदाज़ करते रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वहां हालात दिन-ब-दिन ख़राब ही होते गए। विश्व में शांति स्थापित करना है तो सोमालिया जैसे भूख और धमाकों से तबाह होते देशों में शांति बहाली अतिआवश्यक है।