लो बना दिया तुम्हारे माथे पर चाँद
जो तुम्हारी हसरत थी
नहीं जानता कि यह प्रेम है
या
प्रेम में लिपटी हवस
जो मैं बार-बार तुम्हारे क़रीब आता हूँ।
तुम जानती हो कि मैं प्रेम नहीं करता
लेकिन
तुम्हारा यह मुझ पर बेशर्त कुर्बान होना
मुझे बहका देता है
और
मैं छू लेता हूँ तुम्हारे गालों को
उलझ जाता हूँ तुम्हारे बालों में
और चूम लेता हूँ होंठ तुम्हारे
पता नहीं
कि
तुम्हारा प्रेम अधिक सच्चा है या मेरी हवस?
अगर मानूँ कि प्रेम सच्चा है
तो
मैं तुमसे प्रेम न करने का दोषी हूँ
और
जानूँ कि हवस सच्ची है
तो
मुझे कोई अधिकार नहीं
कि
तुम्हें खिलौना बना कर खेलूँ
गुनहगार हूँ तुम्हारे माथे पर अपने होठों से चाँद बनाने का।