#Metoo: बहुतों को बेपर्दा करके मानेगा यह कैंपेन

अब किसी भी सरकार के मंत्री की गंभीर मामलों में संलिप्तता सामने आने के बाद दबाया नहीं जा सकता! किसी पर यौन उत्पीड़न जैसा आरोप लगा हो तो उसे ज्यादा दिन बचाया नहीं जा सकता. उन्नाव गैंगरेप के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को जनता भूली नहीं है. हालांकि, अब भी वह विधायक है और एक पार्टी का सदस्य भी है.

दुष्कर्म या यौन उत्पीड़न के आरोपी को ज्यादा दिन तक मंत्रिमंडल या विधायिका में बिठाए रह जाना मुश्किल हो रहा है. उन्नाव गैंगरेप मामले में शुरुआती दिनों में लगा कि आरोपी विधायक को सीधे तौर पर प्रोटेक्शन मिला हुआ है. विधायक का भाई पीड़िता के पिता की पिटाई करता है, पुलिस कस्टडी में उसकी मौत हो जाती है लेकिन मामला इससे आगे बढ़ता है और सीबीआई सेंगर को टांग लेती है. अब तक जमानत नहीं हुई है.

एम जे अकबर के मुद्दे पर भी शुरुआत से लग रहा था कि सरकार उन्हें बचाने के मूड में है. पहले दो दिन अफवाह फैली कि अकबर इस्तीफा दे चुके हैं. कई मीडिया घरानों ने खबर चला भी दी लेकिन ऐन वक्त पर जानकारी मिली कि यह महज अफवाह ही है. बुधवार को एमजे अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के कुछ ही घंटो बाद प्रधानमंत्री और राष्ट्रपित ने उनके इस्तीफे को मंजूरी दे दी.

न्यूज18 हिंदी में छपी खबर के मुताबिक, अकबर ने अपने इस्तीफे में लिखा है, ‘चूंकि मैंने निजी हैसियत में कोर्ट से न्याय लेने का फैसला किया है, ऐसे में मुझे यही उचित लगा कि अपने पद से इस्तीफा दे दूं और फिर निजी हैसियत से ही खुद पर लगे झूठे आरोपों को चुनौती दूं. इसलिए मैंने विदेश राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है.’

एम जे अकबर पर करीब 20 महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. अकबर के मुताबिक, सारे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं. राजनीति से प्रेरित आरोपों में खास दम वैसे भी होता नहीं है. #Metoo कैंपेन से इतनी जनभावनाएं जुड़ी हैं कि लोगों काे इसे नजरअंदाज कर निकल पाना बेहद मुश्किल है.

दबे पांव मीडिया में ऐसी खबरें चलाई जा रही हैं कि एम जे अकबर के इस्तीफे के पीछे संघ का दबाव है. मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि संघ की तरफ से कहा गया था कि समाज के एक तबके की तरफ से एमजे अकबर पर लगाए जा रहे आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

संघ की तरफ से भी यह संदेश दिया गया कि यह एक गलत परंपरा की शुरुआत कही जाएगी कि जनता की शिकायतें यहां नहीं सुनी जातीं. संघ की तरफ से कहा गया कि जब तक इस मसले पर एमजे अकबर पाक-साफ नहीं पाए जाते, तब तक उन्हें सरकार से अलग रखना चाहिए.’

वैसे एमजे अकबर ही नहीं, बहुत लोग इसकी जद में आएंंगे. फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर से हुई शुरुआत न जाने किस पर जाकर खत्म होगी. फिल्म जगत तो पहले से बदनाम ही है.
राहत इंदौरी का शेर ऐसे में याद आता है,

लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *