मोहम्मद अली जिन्ना! पाकिस्तान के लिए कायदे आजम. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के लिए हिंदुस्तानियों की नजर में सबसे बड़ा अपराधी. वह इंसान जिसके नाम से सच्चे देशभक्तों का खून खौल उठता है भले ही माघ का महीना हो. अचानक से जिन्ना का नाम सुर्खियों में है. स्वर्ग सॉरी जन्नत से कुछ किया नहीं है उन्होंने उनके नाम पर बवाल मचा है. खून-खच्चड़ हो गया है.
क्यों सता रहा है जिन्ना का जिन्न?
अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर पर आपत्ति जताई थी और प्रशासन से पूछा था कि जिन्ना की तस्वीर विश्वविद्यालय परिसर में लगाने का क्या मतलब है. एक वेबसाइट के मुताबिक अलीगढ़ विश्वविद्यालय में एक हॉस्टल का नाम भी जिन्ना के नाम पर है. अब बताइए जिस आदमी को आधा हिंदुस्तान विलेन मानता हो उसे कोई हीरो कैसे बना सकता है. भले ही अपनी चाल ऐसी हो जिससे देश बंटवारे की भेंट चढ़ जाए लेकिन जिन्ना के जिन्न से डर लगता है सबको. खैर अगर पाकिस्तान की चाल को देखें तो जिन्ना न घर के रहे न घाट के. पाकिस्तान में ही सबसे उपेक्षित हो गए हैं जिन्ना. भारत की नजरों में तो जिन्ना अपराधी हैं ही.
देशभक्ति का लौटा है नया दौर
देश भक्ति का दौर लौट आया है. स्वतंत्रता संग्राम के बाद ऐसा लग रहा था कि मामला थम चुका है लेकिन समय ने करवट ले ली है. एक बार फिर से देशभक्ति अबने सबाब पर है. अब फिर नारा चालू हो गया है कि भारत में रहना है तो वंदे मामतरम कहना है. लोग जोश में हैं. जो वंदे मातरम नहीं कहेगा उसे पकड़ के पीट दिया जाएगा. बस चले तो जिन्ना की कब्र में उनकी खुदाई कर बाहर निकाल उनसे वंदे मातरम कहलवा लें लेकिन कमबख्त टाइम मशीन नहीं मिल रही है.
जिन्ना का जिन्न जाग गया है
जिन्ना का जिन्न दो दिनों से सबको भरमा रहा है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और हिंदू युवा वाहनी के कार्यकर्ता विश्वविद्यालय के बाबा सैयद गेट पर जिन्ना के पुतले को फूंक दिया. विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की आपत्ति के बाद मारपीट का भी मामला सामने आया. दोनों पक्ष कम मजबूत तो हैं नहीं. लाठी दोनों तरफ से निकली. दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर खूब लट्ठ बजाया. पुलिस कब तक साइड लाइन खुद को रखती. मजबूरन कूदकर सामने आना पड़ा. मारपीट इतनी बढ़ गई थी कि मामले को शांत करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस की मदद लेनी पड़ी. कई युवक गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं. पूरा विश्वविद्यालय छावनी में तब्दील हो गया है. हंगामा शांत है. रह-रह कर जिन्ना का भूत जागेगा. फिर बवाल कटेगा.
जिन्ना तो निकल लिए पाकिस्तान लेकर. कुछ दल हैं जो रह-रहकर याद दिलाते हैं कि जिन्ना ने हिंदु्स्तान-पाकिस्तान का बंटवारा कराया है. तब भी विभाजनकारी तत्व थे, अब भी हैं. लगातार मामला बढ़ रहा है. कई खाई समाज खोद ले रहा है नफरतों की. किस किस की तस्वीरें मिटाएं. दलित, मुस्लिम, सवर्ण, ओबीसी और आदिवासी. समाज में नफरतों की खाइयां बढ़ती जा रही हैं. एक नहीं कई जिन्ना सामने हैं. जिन्ना के रूप का विभाजन हो गया है. राजनीतिक दल जिन्ना को लोकप्रिय बना दिए हैं. जो देश भक्त हैं वह भी बांट रहे हैं, जो देशभक्त नहीं है वह भी देश बांटने में जी-जान से जुटा है. लगता है जिन्ना का जिन्न देश को लग गया है जिसकी लपट में आने पर कुछ न कुछ कांड देश के साथ होकर रहेगा.