आया मौसम चोरी का

आपने रुपये-पैसे की चोरी सुनी होगी, साहित्यिक चोरी सुनी होगी, हो सकता है पेटेंट या धुन चोरी के किस्सों से भी आप अनजान न हों । एक नए तरह की चोरी मार्केट में लांच हुई है ‘पुरस्कार चोरी।’
ये आपके जीवन भर की तपस्या को मार्केट में फुटकर के भाव बेचने का जन आंदोलन है आप भी सतर्क हो जाएं। किसी भी वक़्त आपके भी पुरस्कारों की चोरी हो सकती है। अगर पुरस्कार उच्च स्तरीय है तो आप उसे अलीगढ़वां वाले ताले में बंद रखिए, क्या पता कौन से इलाके वाला चोर आपका पुरस्कार मार ले जाए और अगर आपके पास कोई अवार्ड नहीं है तो आपको ताला खरीदने की कोई जरूरत नहीं है।
अरावली अपार्टमेंट में अपना अवार्ड रखने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कभी नहीं सोचा होगा कि उनके नोबेल पुरस्कार की रिप्लिका तक भी चोरी हो जाएगी। ख़ैर जो न सोचो वो कई बार हो जाता है।
चुनावों का मौसम है आपके गलियों में नेताओं के चक्कर लग रहे होंगे वोट चुराने के लिए। हो सकता है कैलाश सत्यार्थी के आफिस को सुरक्षा मिल भी जाए लेकिन आपको कभी नहीं मिलेगी। अपने ईमानदारी पर मजबूत वाला ताला लगाएँ, अच्छे जन प्रतिनिधियों को वोट करें। अच्छे लोग आपके क्षेत्र से चुनाव न लड़ रहे हों तो अब नोटा का भी विकल्प है। सुरक्षित रहें, ईमानदार रहें और चोरों से बचें। पुरस्कार भले ही कम कीमत पर बिकते हों लेकिन देश की कीमत बड़ी है।नेताओं को बेचने में महारत हासिल है। लोकतांत्रिक मूल्यों को चोरी होने से बचाएं ,ये देश आपका है।