कुछ साल पहले विश्व क्रिकेट में यह बहस शुरू हुई थी कि सचिन तेंदुलकर महान हैं या सर डॉन ब्रेडमैन महान हैं. दोनों की खूब तुलना की गई. फिर सचिन की तुलना वेस्टइंडीज के महान प्लेयर ब्रायन लारा से की जाने लगी कि कौन महान है. उस दौर से शुरू हुई सचिन की तुलना आज भी जारी है कि कौन महान है. सचिन की तुलना लगभग हर बड़े से की गई.
अब दौर बदल गया है. आधुनिक क्रिकेट में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. बैटिंग, बालिंग और फील्डिंग हर चीज का स्तर बहुत बदल गया है. लेकिन सचिन की तुलना करने का सिलसिला अभी भी नहीं बदला है. अगर इसे सचिन की महानता के तौर पर देखें तो एक बात है, लेकिन अगर दूसरे पक्ष को देखें तो पता चलता है कि जिससे तुलना की जा रही है उस क्रिकेटर को हम क्रिकेट के कितनी महान श्रेणी में देख रहे हैं.
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ठीक नहीं है कोहली और सचिन की तुलना
विराट कोहली आधुनिक क्रिकेट के उस स्तर की अगुआई कर रहे हैं, जिसमें उनकी तुलना महान क्रिकेटरों से की जा रही है. हालाकि क्रिकेट के पंडित और खुद बड़े प्लेयर इस बात को हमेशा नकारते हैं कि किसी क्रिकेटर की अन्य क्रिकेटर से तुलना करना ठीक नहीं है, सबका अपना अपना दौर होता है और सब अपने तरीके से क्रिकेट खेलते हैं.
सचिन जब रिटायर हुए थे तो मुखेश अम्बानी के घर पर एक पार्टी का आयोजन था, जिसमें देश के लगभग सभी नए और पुराने क्रिकेटरों का जमावड़ा लगा था. उस पार्टी में जब सचिन से पूछा गया कि विश्व क्रिकेट में जो खिलाड़ी अभी खेल रहे हैं उनमें से कौन आपके रिकॉर्ड को तोड़ सकता है. सचिन ने जिन दो खिलाड़ियों का नाम लिया था उसमें एक नाम विराट कोहली था. ये कोई तुलना नहीं थी, लेकिन तुलना ऐसे ही शुरू होती है.
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अपने समय के महान खिलाड़ी हैं विराट कोहली
2008 में अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू करने के बाद आज तक कोहली ने कितने रन बनाए, बतौर कप्तान कितने मैच जीते, किन परिस्थितियों में खेले, ये सब ऐसे तथ्य हैं जो उनकी मेहनत और क्रिकेट के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं. लेकिन इन सालों में कोहली ने अन्य खिलाड़ियों से और भी कुछ अलग ऐसा किया जो उन्हें आज के क्रिकेट का सबसे धाकड़ और महान बल्लेबाज माना जाने लगा है.
अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में फिटनेस का जो पैमाना उन्होंने गढ़ा है शायद ही इससे पहले किसी क्रिकेटर को इस तरह देखा गया हो. उनके बारे में बात करते हुए उनके समकालीन क्रिकेटर कहते हैं कि उन्होंने जितना आसान क्रिकेट को बना दिया है, वास्तव में उतना आसान नहीं है. और शायद इसलिए विराट कोहली को किसी तुलना या किसी महानता से बाहर रखना ही उचित होगा.
किसी खिलाड़ी के खेलते हुए दौर में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जितनी चर्चा विराट कोहली की हो रही है, उतनी चर्चा शायद ही किसी और खिलाड़ी की हुई हो. आज कोहली जिस मुकाम पर हैं, वहां उनसे किसी की तुलना नहीं बल्कि उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए.