पुस्तक समीक्षा: ज़िंदगी को चाहिए नमक
‘जिंदगी को चाहिए नमक’ किसी साहित्यकार नहीं, एक युवा पत्रकार के क़लम से निकली अनुभूतियों का संग्रह है.
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
‘जिंदगी को चाहिए नमक’ किसी साहित्यकार नहीं, एक युवा पत्रकार के क़लम से निकली अनुभूतियों का संग्रह है.
आज जब तुम मिली तो पता नही क्यों फेसबुक और व्हाट्सऐप की डीपी से ज्यादा सुन्दर लगी ? शायद वास्तविकता की यही खूबसूरती है। वहाँ...