‘वेश्या’ बोलने पर बीवी ने ली पति की जान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह हत्या नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने एक हत्या के मामले में फैसला देते हुए कहा है कि अगर महिला को ‘वेश्या’ बोला गया तो इसे हत्या नहीं माना जाएगा। नहीं समझे न! आइए सरल भाषा में समझा देते हैं। मामला तमिलनाडु का है की एक महिला की सुप्रीम कोर्ट में अपील पर आधारित है।

 

महिला की शादी हो चुकी थी और एख बेटी भी थी। इसके बावजूद उसका अफेयर किसी और से चल रहा था। घटना के दिन महिला के पति ने अपनी पत्नी और बेटी को ‘वेश्या’ कहा। महिला के बॉयफ्रेंड ने बीचबचाव की कोशिश की, जिससे महिला के पति का गुस्सा और बढ़ गया। महिला के बॉयफ्रेंड ने उसके पति को थप्पड़ मारा और महिला की मदद से उसका गला घोंट दिया। इसके बाद दोनों ने मिलकर उसकी लाश को जला दिया और शव को एक दोस्त की कार में रख दिया। शव को 40 दिन बाद बरामद किया। महिला ने गांव के ही एक टीचर के सामने अपना अपराध कबूल भी लिया। ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट ने महिला और उसके बॉयफ्रेंड को हत्या का दोषी पाया।

 

वहीं, जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो जस्टिस मोहन एम शांतानागौदार और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने कहा, ‘महिला की जो मौखिक रूप से बेइज्जती की गई, उससे महिला ने अपना आत्म संतुलन खो दिया और मिनट भर में ही अपने पति पर हमला करके उनकी जान ले ली।’

 

जस्टिम मोहन एम ने कहा, ‘मृतक ने आरोपी पत्नी को वेश्या कहकर उसे उकसाया था। हमारे समाज में कोई भी महिला अपने पति से ऐसा शब्द नहीं सुनना चाहेगी। कोई भी महिला अपनी बेटी के खिलाफ भी ऐसे शब्द नहीं सुन सकती है। यह मामला उकसाए जाने का त्वरित परिणाम है।’ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गैर इरादतन हत्या मानते हुए सजा को कम करते हुए 10 साल की जेल में बदल दिया है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि अगर कोई महिला खुद को और अपनी बेटी को ‘वेश्या’ कहने पर उसकी जान ले लेती है तो यह हत्या नहीं है।

सोर्स: इस खबर को ‘द हिंदू’ से अनुवाद करके लिखा गया है। मूल खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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