पुस्तक समीक्षा: ज़िंदगी को चाहिए नमक
‘जिंदगी को चाहिए नमक’ किसी साहित्यकार नहीं, एक युवा पत्रकार के क़लम से निकली अनुभूतियों का संग्रह है.
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
‘जिंदगी को चाहिए नमक’ किसी साहित्यकार नहीं, एक युवा पत्रकार के क़लम से निकली अनुभूतियों का संग्रह है.
केंद्रीय जांच एजेंसी यानी सीबीआई. इस संस्था का नाम है. मतलब एकदम भौकाल ही है. अकसर बड़े-बड़े मामलों में मांग की जाती है CBI से जांच...
महेंद्र सिंह धोनी के लिए, माही मार रहा है जैसे नारे आम होते थे लेकिन अब यही नारे उनको ट्रोल करने के कारण बन गए हैं.
प्रैक्टिकली सोचें तो आर्टिकल 370 होने या ना होने से आम जनता को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. अगर महबूबा मुफ्ती या फारूक अब्दुल्ला इसे फिर से लागू
कराने की बात कहें तो यह भी लगभग असंभव है.
राजनीति और मौकापरस्ती. ये दोनों पर्यायवाची जैसे हो गए हैं. महाराष्ट्र में इसका ताज़गी बरक़रार है. मराठी मानुष के नाम पर शिवसेना बनी. बाल ठाकरे...
चिन्मयानंद पर रेप का आरोप लगा. एक साल तक खूब लानत-मलानत हुई. बीजेपी ने पल्ला भी झाड़ा. आखिर में चिन्मयानंद पर रेप का आरोप लगाने वाली लड़की ने आरोप वापस ले लिए.
पिछले कुछ महीनों में मीडिया रूपी गिद्ध को दो मामले मिले. इन दो मामलों ने मीडिया को टीआरपी रूपी संजीवनी दी. सिर्फ किम जोंग और...
किसी भी देश या प्रदेश में कानून जरूर होता है. इसी कानून का पालन कराने के लिए सीबीआई जैसी तमाम संस्थाएं बनाई जाती हैं. कानून...
बिहार में चुनावी चांपाचांपी जोरों पर है. हर दिन नेता लोग पार्टी बदल रहे हैं. गठबंधन पर गठबंधन बन रहे हैं. अभी तक नीतीश कुमार...