उन्नाव रेप केस बताता है कि कानून सबके लिए एकसमान नहीं होता

unnao rape case

एक लड़की राज्य के मुख्यमंत्री और सबसे ताकतवर नेताओं में से एक योगी आदित्यनाथ के पास गुहार लगाती है। आरोप है कि बीजेपी के एक विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके आदमियों ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया। वह सीएम आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश करती हैं तो मामले की आग मीडिया तक भी पहुंचती है।

अगले दिन आरोप लगाने वाली लड़की के पिता को कुछ लोगों/पुलिस द्वारा इतना पीटा जाता है कि उनकी मौत हो जाती है। आरोपी विधायक सीएम से मिलने जाता है और कहता है कि आरोपी तो फरार हो गए हैं और मैं आरोपी नहीं हूं। सोचिए, अगर इतने गंभीर आरोप आप पर हों तो क्या होगा? जो कानून की धाराएं हैं, वे बाकायदा आप पर लागू हो जाएंगी आप जेल में तुरंत जाएंगे। सलमान खान की तरह बेल आपको मिलने से रही, आप पर आरोप साबित तब होगा जब बाकी जांच और कानूनी प्रक्रिया होगी लेकिन यहां नेता जी चौड़े में हैं।

मीडिया से बात करते समय कुलदीप सिंह एक ऐंकर को डांटते हुए इयर पीस निकाल देते हैं और कहते हैं कि आपको बात करने की तमीज नहीं है। कमाल की बात है कि ऐसे ही नेताओं को हम ‘बाहुबली’ मानकर फिर से जिता देते हैं। कुलदीप सिंह की ओर से मीडिया और बाकी गवाहों को धमकी मिलनी शुरू है, इंतजार है कि कैसे मामला ठंडा हो और एक-एक से बदला लिया जाए। कॉल रिकॉर्डिंग भी सामने है लेकिन नेताजी चौड़े में हैं।

एक उदाहरण:-

यह उदाहरण एक रेप या मर्डर केस का ही नहीं है। मामला है कि कानून के आम और खास हो जाने का। वही कानून जो आपके मौलिक अधिकारों में कहता है कि कानून की नजर में सब एक समान हैं। इन्हीं एक समान लोगों में से एक को आप अपना सांसद/विधायक चुन लेते हैं और वही आपको अपनी ‘खासियत’ दिखाता है। आप भी अकसर यह कहते हुए खुश होते हैं, ‘यार नेताजी का तो गजब भौकाल है।’ फिर कभी आपको जरूरत पड़ती है तो समझ आता है कि नेताजी तो काफी बड़े हो गए और आप वहीं रह गए।

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