बोलने दो ना!

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बोलने दो न , बोलने से कुछ हुआ है क्या देश में ? क्यों डरते हो किसी के बोल देने से ? क्या हो जायेगा बोलने से ? अगर होता तो विकास कब का हो चुका होता, क्योंकि विकास से ज्यादा तो देश में कुछ बोला ही नही गया ! अगर बोलने से होता तो जातिवाद कब खत्म हो जाता देश से लेकिन हुआ क्या खत्म ? बोलने से कुछ होता तो सच में हमारे किसान देश के प्रधान होते, क्योंकि सब नेता हर दम बोलते है कि हम कृषि प्रधान देश के नागरिक हैं? क्या सच में देश का प्रधान आपको किसान लगता है? अगर लगता है तो आज वही प्रधान आत्महत्या की कगार पर क्यों आ गया है? बोलने से कुछ होता तो किसान कभी ऐसा न करता । बोलने से गरीबी दूर हो गई क्या देश की? तो बोलने से देश कैसे बर्बाद हो सकता है? जब हम बोलने से बन नही पा रहे तो हम बोलने से बिगड़ कैसे जायेगे। क्यों डरते हो बोलने दो लोगो को ! बोलने से कुछ होता तो हम सबसे आगे होते , क्या हम सबसे आगे हैं। रामजस कॉलेज में कोई बोल देगा उससे देश में क्या बदल जायेगा? जब इतने नेताओ के बोलने से कुछ नही बदला!

भारत माता की जय बोलो या जय न बोलो , बताओ बोलने से क्या नया हो जायेगा और न बोलने से क्या नया होगा ? अब आप सोचो हमारा देश इतना कमजोर है की कोई बर्बादी के नारे लगा देगा तो हम बर्बाद हो जाएंगे? अगर आपको ऐसा लगता है तो इसका मतलब आप देश को समझ नही पाये अभी! क्या इन सब बातों की वज़ह से बोलने पर रोक लगा देगे , तो क्या ये चुप हो जाएंगे? कही आप इनको इतना बढ़वा देकर खुद ही इन्हें आगे कर रहे है ? क्या होगा नारे लगाने से ? कोई सच तो नही छुपा है जो इन नारों की पीछे छुपाया जा रहा है ? अगर इतना ही डरते हो सुनने से तो एक काम करो कान बंद करलो , क्योंकि तुम मेरे देश को समझते नहीं हो !” बोलने की आज़ादी पर बहस होगी क्या वो बोल कर होगी ? या चुप होकर ? “

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अभय

अभय पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट रहे हैं। वर्तमान में पॉलिटिकल लव से उनकी पहचान बन रही है। राजनीतिक और सामाजिक विषयों को ह्यूमर और इश्क के साथ पेश करना अभय की कला है।
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