रक्तदान एक स्वस्थ, प्रेरणादायी और बेहतर अनुभव देने वाली क्रिया है. एक स्वस्थ शरीर से खून निकाले जाने पर शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है. बल्कि रक्तदान के बाद शरीर में होने वाली क्रियाएं शरीर को और स्वस्थ ही बनाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो खून आप देते हैं, उसका क्या होता है?
फिल्मों में जो दिखाते हैं कि बंदा बोतल में खून लेकर दौड़ा जा रहा है और पैर फंस गया. बंदा जमीन पर और बोतल तबाह. ऐसा तो कुछ नहीं होता है. बल्कि खून का भंडारण और परीक्षण ऐसा किया जाता है कि खून की एक-एक बूंद काम आए.
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एक बार में एक व्यक्ति के शरीर से एक यूनिट खून लिया जाता है. ये एक यूनिट 400 से 500 मिलीलीटर के आसपास होती है. और एक स्वस्थ इंसान के शरीर में खून होता है लगभग चार से पांच लीटर. तो एक यूनिट खून देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. और 24 से 48 घंटे में स्वस्थ शरीर ये खून फिर से बना लेता है.
शरीर से खून निकलने के भी हैं फायदे
दूसरा फायदा यह है कि हर बार रक्तदान से पहले आपके शरीर की बेसिक जांच हो जाती है. साथ ही नियमित अंतराल पर खून देते रहने से शरीर स्वस्थ रहता है और खून भी साफ रहता है.
अब आते हैं कि जो खून हम देते हैं उसका क्या होता है. सबसे पहले आपके खून को एक पैकेट में कलेक्ट किया जाता है और उसपर लेवलिंग करके उसे बर्फ में रख दिया जाता है. फिर इसकी प्रोसेसिंग होती है, जिसे रेड सेल्स, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा को अलग-अलग कर लिया जाता है. यहां से प्लाज्मा को और तोड़ा जा सकता है. वहीं, ट्रांसफ्युजन रोकने के लिए रेड सेल्स और प्लेटलेट्स में से वाइट सेल्स को निकाला जाता है.
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फ्री में हो जाती है खून की जांच
आपने ध्यान दिया होगा कि रक्तदान के समय आपके खून की कुछ बूंदे छोटी-छोटी शीशियों में ली जाती हैं. इन्हीं से आपके खून की जांच होती है. मतलब, पैकेट वाले खून को प्रोसेसिंग एक तरफ होती रहती है, दूसरी तरफ आपके खून की जांच की जाती है. आपका खून ठीक है और आपको कोई बीमारी तो नहीं है, इसकी जांच करने के लिए लगभग एक दर्जन टेस्ट किए जाते हैं. अगर आपको कोई भी संक्रामक बीमारी होती है, तो आपके खून की प्रोसेसिंग रोक दी जाती है और आपको सूचित किया जाता है.
अगर टेस्ट में कोई बीमारी नहीं निकलती है तो ये तय हो जाता है कि आपका खून बैंक में रखा जा सकता है. अब रेड सेल्स को 6 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 42 दिनों तक रखा जा सकता है. प्लेटलेट्स को सामान्य तापमान पर पांच दिन तक रखा जा सकता है.
दर्जनों लोगों को फायदा पहुंचाता है एक यूनिट खून
प्लाज्मा और क्रायो को जमा लिया जाता है और एक साल तक रखा जा सकता है. अब ये सारे यूूनिट्स अस्पताल की सुविधा के अनुसार रखे जाते हैं. अब मान लीजिए किसी बीमार या घायल व्यक्ति को खून की जरूरत पड़ती है. अब डॉक्टर यानी फिजीशियन तय करते हैं कि मरीज को किस तरह के ट्रांसफ्युजन की जरूरत है. इस प्रकार मरीज को रेड सेल्स, प्लाज्मा या प्लेटलेट्स चढ़ाए जाते हैं.
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इसके अलावा खून से कुछ और प्रोडक्ट भी तैयार किए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल स्वास्थ से जुड़ी चीजों में किया जाता है. मतलब, जो खून आप देते हैं वो कई लोगों की जान बचा सकता है और आप को स्वस्थ भी रखता है. इसलिए रक्तदान करने से कभी भी पीछे न हटें