चीन में चुनाव होने जा रहे हैं, कोइ आम चुनाव नहीं बल्कि राष्ट्रपति का चुनाव होने जा रहा है। कुछ ऐसी है इस चुनाव की प्रकिया ..
इन सब बातों से जरूरी एक और बात है लेकिन इस बात का मतलब अंत में समझ आएगा।
‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी भगवान से ज़्यादा अहम’
सब कुछ पढ़ते हुए इस बात को अपने जहन में रखिए, आप सब पर भी चीन में हो रहे चुनाव का रंग चढ़ने लगेगा।
इसकी शुरुआत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) देश भर से प्रतिनिधियों को नियुक्त करके करती है। इसके बाद बीजिंग के ग्रेट हॉल में बैठक होती है। पार्टी के 2,300 प्रतिनिधि हैं, हालांकि 2,287 प्रतिनिधि ही इस बैठक में शामिल होंगे। रिपोर्टों के मुताबिक़ 13 प्रतिनिधियों को अनुचित व्यवहार के कारण अयोग्य ठहरा दिया गया है।
बंद दरवाज़े के भीतर सीपीसी शक्तिशाली सेंट्रल कमेटी का चुनाव करेगी। सेंट्रल कमेटी में क़रीब 200 सदस्य होते हैं। यही कमेटी पोलित ब्यूरो का चयन करती है और पोलित ब्यूरो के ज़रिए स्थायी समिति का चयन किया जाता है। ये दोनों कमेटियां चीन में निर्णय लेने वाले असली निकाय हैं। पोलित ब्यूरो में अभी 24 सदस्य हैं जबकि स्टैंडिंग कमेटी के सात सदस्य हैं। हालांकि, सदस्यों की संख्या में आने वाले सालों में परिवर्तन होता रहता है।
भारत में तो कई पार्टियां हैं और वे चुनाव लड़ती हैं और जनता अपना नेता चुनती है लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। चीन में सिंगल पार्टी रूल है। मतलब वहां केवल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ही सरकार बनाती है। इसका वही मतलब है खुद से लड़कर खुद से जीत जाना। वहां आप मिस करेंगे विपक्ष की अवाज… अब तो समझ आ ही गया होगा कि ……क्यों चीनी कम्युनिस्ट पार्टी भगवान से ज़्यादा अहम है।