कैशलेस पर मोदीजी को बाहर से समर्थन दे रहे हैं ‘राष्ट्रवादी एटीएम’

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देश कैशलेस की ओर बढ़ रहा है। मोदी जी का सपना कोई और नहीं खुद देशभर की गली-गली में लगे एटीएम पूरा कर रहे है। दिल्ली में भी कुछ एटीएम ऐसी ही स्थिति में हैं और कई जगह तो मोबाइल पर निकासी मैसेज तो आ रहा है लेकिन पैसे निकल नहीं रहे हैं। गुड़गांव के तो 80 प्रतिशत एटीएम कैशलेस हो गए हैं । अब आप ही बताइए कि इससे ज्यादा कैशलेस इकॉनमी कहां हो सकती है? कैशलेस के लिए मोदी जी को उनके नेताओं ने इतना समर्थन नहीं दिया जितना एटीएम खुद3 दे रहे हैं ।

कुछ इतना ही समर्थन मोदी जी को 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के दौरान मिला था। उसके बाद आरबीआई ने हालात सुधारने के लिए लगभग 5 लाख करोड़ रुपए के 2000 के नोट जारी किए थे और ये नोट प्रचलन में थे। इनके आने से कैश की कमी से खराब हुई स्थिति सुधर गई थी लेकिन मोदी जी का सपना पूरा करने में एटीएम ने अपनी जान लगा दी और 2000 के नोटों को अपने अंदर से ही निकालकर खत्म कर दिया। इसी सपने को अपने चरम पर पहुंचाने के लिए एटीएम ने 10 से 15 में सबकुछ समर्पित करते हुए हर जगह से नोट गायब कर दिए।

एटीएम कुछ अलग अंदाज में भी समर्थन कर रहे हैं। 70% एटीएम 200 के नोट अपने अंदर ही नहीं आने दे रहे हैं, महज 30 फीसदी एटीएम ही 200 रुपये को लेकर कैलीब्रेट कर रहे हैं और यही 30 फीसदी एटीएम कैशलेस विरोधी हैं। इतना ही समर्थन नहीं कर रहे ये एटीएम बल्कि आरबीआई की रैंडम जांच में पाया गया है कि करीब 30 फीसदी एटीएम औसतन हर समय खराब रहते हैं। ये एटीएम राजनीतिक पार्टियों की तरह मोदी जी के सपनों को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।

समर्थन कुछ और लोग भी दे रहे है लेकिन उनका समर्थन गुप्त है लेकिन ठोस है। बैंक से जुड़े लोगों का कहना है कि डिपॉजिट में कमी और निकासी में बढ़ोतरी के चलते इस तरह के हालात पैदा हुए हैं। माना जा रहा है कि फिर से करंसी की जमाखोरी हो रही है, क्योंकि दो हजार के जो नोट चलन में हैं, वह वापस ही नहीं आ रहे हैं। जमाखोर लॉबी का ये समर्थन देश को और एटीएम दोनों को कैशलेस करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है और इनका ये संघर्ष जरूर रंग लाएगा और मोदी जी का कैशलेस का सपना एक दिन जरूर पूरा होगा

इन सब के बीच चुनाव भी कैसलेस बनाने का क्रेडिट लेने में पीछे नहीं है। आरबीआई ने कहा है कि चुनाव के लिए रुपये को जमा किया जा रहा है लेकिन चुनाव अकेले क्रेडिट नहीं ले सका क्योंकि नेता ही चुनाव के लिए नकदी जमा कर रहे हैं, जिससे देश जल्द कैशलेस बन जाए और मोदी जी के सपने को पूरा किया जाए ।

इन सब के संघर्ष के बाद लग रहा था कि देश जल्द कैशलेस हो जाएगा लेकिन बीच में कुछ लोग और आ जा रहे हैं। मोदी जी की खुद की सरकार भी कैशलेस में रोड़ा बन रही है। वहीं आरबीआई ने कई दिशा निर्देश जारी कर कैशलेस को रोकने की कोशिश शुरू कर दी है लेकिन कोशिश दोनों ओर से जारी है, देखते हैं जीत किसकी होती है?

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