इंटरव्यू: सबसे चर्चित और सबसे महंगे चालान का

चालान

कटने का डर हर जगह होता, कहीं इंसान का प्यार में कटता है तो कहीं दोस्त पार्टी के नाम पर लंबा कट देते हैं। इससे कहीं ज्यादा किसी और के कटने से डर लगता है और वो कट जाए तो समझ लीजिए मंदी ही आ जाएगी। इतनी बात से तो आप समझ गए होंगे, हम यहाँ किसकी बात कर रहे है, फिर भी बता देता हूँ यहाँ बात हो रही है डर के दूसरे नाम ‘चालान’ की।

इनके डर का आलम ये है कि इंडिया में अब फॉग नहीं चालान ही चल रहा है। हर कोई इनकी बात कर रहा है, कोई इनको देशहित में बता रहा तो कोई इसको लूट बोल रहा है। वैसे जब मैं इंटरव्यू लेने जा रहा था तब मेरा भी कट गया था चालान। खैर छोड़िए हम सबकी बात हटाकर इनकी बात सुनते हैं। ये क्या बोलना चाहते हैं तो चलिए शुरू करते हैं बातचीत का सिलसिला।

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फलाने– नमस्कार सर कैसे हैं आप?
चालान- मैं तो ठीक हूँ आप अपना हाल बताएं, मेरे डर से साइकल तो नहीं बेच दिए अपनी?

फलाने- नहीं-नहीं वो सब छोड़िये आपको कैसा लग रहा है अब?
चालान– मुझे तो कुछ नहीं लग रहा, लग तो आप लोगों को रहा है मुझ से डर, बाकी अब अपुन देशभक्त है।

फलाने– आप पर कई इल्जाम लग रहे हैं कि आपको सरकार के लिए बढ़ाया गया है?
चालान– देखिये मैं तो बोल सकता हूँ कि आप लोगों ने जो गाड़ी ली है, वो भी सरकार के लिए ली है। फलाने जी इल्जाम लगाना बहुत आसान है। अच्छा होगा कानून का पालन करें सब।

फलाने– कहीं आप RBI को तो लोन नहीं देने वाले है?
चालान– देखिये हम पहले सरकार का पेट भर दें फिर आगे का सोचेंगे। वैसे आपकी बात पर भी विचार किया जाएगा। बाकी हम पहले अमरीका को लोन देने की सोच रहे हैं क्योंकि रूस को तो पहली किस्त से ही दे दिया सरकार ने।

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फलाने– आपको नहीं लगता कि आप अमीर-गरीब सबके लिए एक हो गए हैं?
चालान– वो तो मैं पहले से था, क्योंकि मेरा तो नारा ही है ‘सबका साथ, सरकार का विकास’। बाकी मैं अपने डिपार्टमेंट के लिए हूँ।

फलाने– कई बार आपकी कीमत गाड़ी से भी ज्यादा हो जा रही है ऐसा क्यों?
चालान– देखिये ये कुछ अफवाह लगती है, मुझे तो इसकी आधारिक पुष्टि के बाद ही मैं कुछ बोल पाऊंगा। बाकी मुझ से बाकी लोगों को जलन है और जो आपकी बात है वो बस विपक्ष की साजिश है मेरे खिलाफ।

फलाने– एकदम नेता हो गए आप तो चालान जी खैर छोड़िये, आपके कारण एक किसान ने आत्महत्या कर ली क्या कहना चाहेंगे आप?
चालान– देखिये किस बदलाव के बाद मौत नहीं हुई है, नोटबन्दी याद करिए आप। उस वक़्त तो आप लोगों ने नोटबन्दी से कोई सवाल नहीं पूछे। उस वक़्त तो आपको देशभक्ति दिख रही थी, अब क्या हुआ पैसे पूरे नहीं आ रहे क्या आपके पास? वैसे मैं इस कि कड़ी निंदा करता हूँ, किसी की भी जान जाने पर दुःख होता है।

फलाने- आपके बढ़ जाने के बाद तो लोग गाड़ी ही जला दे रहे हैं, इस पर क्या बोलना है आपको?
चालान– अब क्या उनकी गाड़ी जल गई तो मैं आगे बढ़ना बंद कर दूं क्या, आपको तो पता न आगे बढ़ने के लिए बलिदान तो देना भी पड़ता है और लेना भी पड़ता है। क्या आपके नेता आगे बढ़ने के लिए बलिदान नहीं लेते? वो लेते हैं तो मैं क्यों न लूं।

फलाने– आप कई कपड़ों पर भी प्रतिबंध लगा रहे है, कपड़े का गाड़ी चलाने से क्या संबंध है सर?
चालान– संबंध तो विकास का भी नहीं है सरकार से पर आप उसके नाम पर वोट देते हो न सरकार को! देखिये हर बार संबंध होते नहीं हैं बनाने पड़ते हैं और जब नए बदलाव होते हैं तो नए संबंध भी बनते हैं। बस अब आप लुंगी डांस नहीं कर पाएंगे गाड़ी चलाते हुए।

फलाने– आपके आने से सबसे ज्यादा फायदा किसका है?
चालान– सब अपने लोगों का फायदा देखते है मैं कोई अलग नहीं हूँ, पहले आप लोग 100 रुपये देकर बच जाते थे अब मेरे लोग आपको 100 रुपये में तो नहीं छोड़ने वाले है।

फलाने– आप क्या बोलना चाहते है लोगों से।
चालान– लोगों से बस एक बात बोलनी है वो देशहित में खूब सारा कटें और देश को मंदी से बाहर लेकर आए क्योंकि अब बस आप ही सहारा है। यही वक़्त है अपने देश के लिए काम करने का।

फलाने- शुक्रिया चालान जी, इतने बिजी शेड्यूल के बाद भी आपने हमें टाइम दिया।
चालान– शुक्रिया की क्या बात है कभी आप भी आएं हमारे पास, सही से खातिरदारी करते हैं।

चालान जी थोड़ा गुस्सा थे, वो इनकी बातों से आपको समझ आ ही गया होगा। अब हों भी क्यों न नोटबन्दी से तो किसी ने सवाल नहीं किए और इन पर सब कोई सवाल दागे हुए हैं। इनके गुस्से को साइड करिए और इनके पास जाने से बचिए। इसके दो फायदे हैं, एक तो आप सेफ रहेंगे और दूसरा आपके पैसे भी सेफ रहेंगे। बाकी सरकार जो करती है, आपके हित के लिए ही करती है मोदी जी ने ये किया है तो ठीक ही किया होगा। चलिए अब हम चलते हैं, कही हमारा ही न कट जाए।

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