बौखलाया, खिसियाया, गिड़गिड़ाया पाक लेकिन आप क्यों खुश हैं?

इंसान की फितरत होती है कि उससे पड़ोसियों की प्रगति नहीं देखी जाती. अगर पड़ोसी फटेहाल हो, कंगाल हो तो भी उसके प्रति सहानुभूति और ममता नहीं उपजती, बस इच्छा यही होती है कि किस तरह से और कंगाल हो जाए. क्योंकि पड़ोसी है, पड़ोसी का खुश होना कैसे रास आए. भारत में पाकिस्तान की दुर्गति का कुछ ऐसा ही मजाक उड़ता है. कंगाल, भिखारी, बौखलाया, खिसियाया, रिसियाया, मुंहझौंसियाए पाक को लगी अमेरिका, फ्रांस, रूस, जर्मनी, यूनाइटेड अरब अमीरात, इजराइल और अफगानिस्तान से फटकार.

कायदे से एक अच्छा पड़ोसी होने की वजह से पाकिस्तान से तो हमें सहानुभूति होनी चाहिए लेकिन पाकिस्तान ऐसा लाचार पड़ोसी है, जिसके घर में गृहयुद्ध मचा है और जो खुद से जूझ रहा है. बड़ा और प्रभावी देश होने की वजह से भारत की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए थी कि पाकिस्तान को इस संकट से उबारे लेकिन पाकिस्तान तो पाकिस्तान है.

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कहीं से भी पाकिस्तान को नहीं मिली मदद

अनुच्छेद 370 में हालिया बदलाव के बाद भारत और पाक के बीच तनाव चरम पर है. पाकिस्तान भारत के खिलाफ लगभग हर राष्ट्र से गुहार लगा चुका है कि भारत ने कांड किया है, जहां तक उसकी पहुंच है लेकिन कहीं से भी पाकिस्तान को कहीं से मदद नहीं मिली है. सामान्य सी बात है. भारतीय मीडिया ने इस खबर को ऐसे पेश किया है कि पाकिस्तान लंगोटी पहन के लोटने लगा हो. पाकिस्तान सब कुछ लुटा चुका हो. लोग वहां भुखमरी से मर रहे हों. घर में भूजी भांग नहीं लेकिन अकड़ अपने चरम पर.

मानवता को दिशा दिखाने वाली दो विभूतियां भारत की ही मिट्टी में पैदा हुईं. गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी. भारत के इन दोनों विभूतियों का एक समय पूरी दुनिया पर प्रभाव रहा. दोनों की शिक्षाएं मानवता की ओर बढ़ने वाली थीं. पाकिस्तान भी एक वक्त भारत का हिस्सा रहा. आजादी की लड़ाई दोनों ओर के लोगों ने मिलकर लड़ी. कायदे से हर अच्छी-बुरी चीजें विरासत में दोनों देशों के पास बराबर मात्रा में पहुंची.

संप्रदाय की नींव पर बना पाकिस्तान

दुर्योग से संप्रदाय की नींव पर पाक की इमारत बुलंद हुई थी, उसे ऐसे ही ढहना था. आजादी के बाद भारत ने भी संप्रदायवाद, दंगे, आतंकवाद, माओवाद का सामना किया. अब तक कर रहा है. कुछ हद तक गृह युद्ध भी…लेकिन उससे उबरा…कोशिश अब तक जारी है, विकास भी हो रहा है. आर्थिक मंदी का सामना पूरी दुनिया कर रही है, भारत अपवाद नहीं है.

हर पड़ोसी भारत और भूटान की तरह क्यों नहीं होते?

वहीं पाकिस्तान में आतंकवाद ने पहले खुद को तबाह किया, फिर भारत को तबाह करने की रणनीति वहां तैयार होती रही. कश्मीर में अलगाववाद फैलाने के लिए पाकिस्तान ने जी जान झोंक दिया. एक बाद आतंकवादी हमले, सीमा पर फायरिंग, लगातार घुसपैठ…..
इसे दुर्योग ही कहेंगे. पाकिस्तान को जिस रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए था, पाकिस्तान रास्ता ही भटक गया. ऊपर से उसे दो महान गुरु मिले. चीन और अमेरिका. चीन ने अर्थव्यवस्था पर कब्जा किया, अमेरिका ने भी.

पाकिस्तान को गरियाने के चक्कर में हम अपने संस्कार भूल गए

जब जी चाहा रोटी फेंकी, जब जी चाहा दुत्कार दिया. भारत के लिए दोनों देशों का रुख ऐसा ही रहा कि नुकसान भी पहुंचाओ और फायदा भी. पाकिस्तान भारत को परेशान करने का एक खूबसूरत टूल बन गया है, जो भारत के खिलाफ इस्तेमाल होता है.

पाक हमें इतना नापसंद है कि हम उसे भिखारी, बेवकूफ, आतंकी, कंगाल और भूखे नंगों का देश कहते हैं. कायदन यह सब कहते हुए हमें उसके प्रति सद्भावना रखनी चाहिए, क्योंकि हमारी संस्कृति ही ऐसी रही है. हमारा पड़ोसी इतना कंगाल और हमारे यहां उत्सव……सच्चे भारतीयों से इतनी बड़ी सांस्कृतिक भूल. इसी पर देश के दो प्यारे शायरों ने ढंग की दो बात कही है. दोनों ने सही तरीके से बात कही है.

मंजर भोपाली और जतिंदर परवाज़ नाम के दो शायर हुए हैं. दोनों ने लाख टके की बात कही है. मंजर भोपाली ने कहा है कि
हो गया अपने पड़ोसी का पड़ोसी दुश्मन
आदमिय्यत भी यहाँ नज़्र-ए-फ़सादात हुई.

जतिन्दर परवाज़ ने भी कुछ ऐसा ही कहा है-
ये फ़िरक़ा-परस्ती ये नफ़रत की आँधी
पड़ोसी पड़ोसी का सिर काटता है.

आर्टिकल 370 का इंटरव्यू पढ़िए और जरा संभल जाइए