BY: @Abhay
देश में बदलाव हो रहे हैं, देश आगे बढ़ रहा है तो पेट्रोल क्यों रुके भला? उसको भी आगे बढ़ने का पूरा हक है। वैसे भी पेट्रोल कब किसके रोकने से रुका था। उसको न अर्थशास्त्री रोक पाए और न ही नसीब वालों से रुका, वो बढ़ता ही रहा..खूब बढ़ा। पेट्रोल घर के एक ऐसे सदस्य के रूप में सामने आया, जो डांटने के बाद कुछ दिन तो रुकता था लेकिन भला डांट का असर किस पर ज्यादा दिन तक रहा है। इतनी डांट के बाद पेट्रोल भी जिद्दी हो गया है। अब वो घर वालों के हाथ से निकल कर अपनी मनमानी पर चलने लगा लेकिन घर वाले आज भी उस पर दावा करते हैं, मगर यह दावा महज किताबी है।
पेट्रोल पर पहले नसीब वाले मौसा बिगड़ने के आरोप लगाते थे और अब अर्थशास्त्र वाले फूफा कह रहे हैं कि जब हम थे तो वो कम बिगड़ा हुआ था। एक समय तो ये था की चाची और मौसी तो रोड पर आ गई थीं विरोध करने लेकिन बाद में बात सारे घर वाले समझ गए हैं कि पेट्रोल अब हाथ से निकल चुका है और वो अब दोबारा घरवालों के कब्ज़े में नहीं आने वाला है। वहीं जो पड़ोसी हैं हमारे, भले ही वो कई बातों में हमसे पीछे हैं लेकिन उनका लड़का आज भी उनके कब्ज़े में है और उनकी बात सुन रहा है।
बीच में बात ये भी आई थी कि कच्चे तेल का जो दाम होगा उस हिसाब से पेट्रोल आगे बढ़ेगा लेकिन एक वक्त के बाद पेट्रोल ने कच्चे तेल को भी धोखा दे दिया। जो पेट्रोल कभी कच्चे तेल के हिसाब से चला करता था, आज वो उससे न जाने कितने आगे चला गया। कच्चे तेल ने अपने आप को हर हद तक गिरा कर देख लिया लेकिन पेट्रोल टस से मस नहीं हुआ और खुन्नस में कच्चे तेल ने कहा कि ‘न जाने पेट्रोल को कौन सी आग लग गई है’
पेट्रोल को बिगाड़ने में दूसरे गांव के आदमियों का भी हाथ रहा, क्योंकि अब वो तय करने लगे कि पेट्रोल किस हिसाब से चलेगा। इतना ही नहीं पेट्रोल को बिगड़ता देख कई लोग उसका फायदा उठाने लगे और अपनी झोली भरने लगे हैं और पेट्रोल भी इस सोहरत के बीच सब भूल गया है।
पेट्रोल को आज वही लोग भले लग रहे हैं, जो उसको गालियां खिलवा रहे हैं। वो बस उन्ही की बात सुन रहा है। अगर इस पर आप उसे सही राह दिखाने की कोशिश करते हैं तो वो जल जाता है… और आप तो जानते ही हैं कि पेट्रोल को आग बड़ी जल्दी लगती है। तो आप पेट्रोल से सवाल करने से बचे क्योंकि अब वो बिगड़ चुका है…आपको और परेशान कर सकता है।