प्यारे प्रधानमंत्री जी!
कुछ लोग प्यार करते हैं. कुछ लोग कारोबार करते हैं. पहले वाले की जिंदगी रो-रोकर बीतती है. घर वाले चांप देते हैं.
“देखो भइया रुपया पैसा बंद. अब हम तुम्हें घंटा नहीं देंगे. तुम खुस रहो अपनी मेहरारू के साथ.”कमासुत पूत हो तो भी डर जाता है. प्राइवेट कंपनी में नौकरी कितने दिन सही सलामत है भगवान ही जाने. प्यार वाला धंधा फ्लॉप हो जाता है.
यूपी-बिहार के लड़कों की सबसे बड़ी दिक्कत यही है. प्यार हो तो सबसे पहले पूछते हैं बिरादरी की ही बिटिहनी है न? अगर बिरादरी की न निकले तो घर से निकलने का प्रबंध हो जाता है. दूसरा वाला कतई ऐश में रहता है. बैंक से लोन लेता है और निकल पड़ता है लंबी सैर पर. वर्ल्ड टूर पर. अपने देश में वैसे भी अच्छे दिन के अलावा रखा ही क्या है?
नौकरी इतनी बोरिंग हो गई है कि खुदै कंपनी खोलने का मन कर गया है. एक कंपनी खोल लेता हूं मस्त आराम से जिंदगी कटेगी. किसी अमेरिकन से बियाह कर लूंगा और देश से कर्जा लेकर भाग जाऊंगा. जब ईडी नीरव मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या का घंटा नहीं उखाड़ पा रही है तो मेरी क्या उखाड़ लेगी. अब देखो हमको बहुत कनफूजन है. इ ईडी दीदी है या भइया है. खैर कुछ भी हो हमसे क्या?
हम तो एक जूलरी कंपनी खोलने के जुगाड़ में हैं. नाले में घुस जाएंगे औ मोती काढ़ि लाएंगे. नाला में न मिले तो का हुआ हमारे गांव के पीछे बहती है नदी. वही मा बहुत ढेर सीपी, घोंघा, शंख बहत रहत हैं. आंख खुलते ही पहुंच जाना है और बीन लेना है. बिना भर्ती के एक कमरा भरने भर का माल जमा कर लूं बस. बैंक को दिखा दूंगा हिमालय से लाया हूं. सात साल की तपस्या करके. स्वदेशी हीरे मोती हैं मेरे पास. कर्जा मिल ही जाएगा. फिर टाई, सूट-बूट में रेडीमेड दुलहा बनकर पासपोर्ट बनवाऊंगा और माल जमा करके निकल जाऊंगा.
भाई घोटालेबाजी में बहुत सुकून है. शुरुआती दौर में ही जो मेहनत है सो है बाद में तो मालपूआ चापना ही है. न माल्या मिला, न मोदी मिलेगा. स्कोप देख के ही इनवेस्टमेंट करने का विचार कर रहा हूं.
अब प्यार तो कर न पाए सोच रहा हूं कारोबार ही कर लूं. करोड़पती लोग तो वैसे भी कइयों के पति होते हैं. फिर कोई टेंशन नहीं रहेगी. मोदी जी! आप सबको कुछ न कुछ देते रहते हैं. मुझे भी कुछ दे दीजिए. कुछ आपके खाते से नहीं मांग रहा हूं. बस किसी बैंक से लोन दिलवा दीजिए. प्यार में तो भाग नहीं पाए, कारोबार में भाग के ही जन्म करितारथ कर लें. मोदी जी! देंगे न?