राहुल गांधी के अध्यक्ष बने रहने में कांग्रेस के ‘ओल्ड गार्ड’ का क्या फायदा है?

लोकसभा चुनाव में असफलता के बाद ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपना पद छोड़ना चाहते हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम इसकी प्रतिक्रिया में यहां तक कह चुके हैं कि अगर ऐसा हुआ तो कार्यकर्ता आत्महत्या कर लेंगे। जानकारी के मुताबिक, राहुल इस्तीफे पर अड़े हुए हैं लेकिन सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नहीं चाहते हैं कि राहुल के अलावा गांधी परिवार से इतर कोई और पार्टी का अध्यक्ष बने।

 

जैसी खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक राहुल गांधी कमलनाथ और अशोक गहलोत से नाराज हैं कि इन दोनों नेताओं ने पार्टी को जिताने की बजाए अपने बेटों को जिताने में लगे रहे। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी नेतृत्व परिवर्तन करके पार्टी में नई जान फूंकना चाहते हैं लेकिन पार्टी का ओल्ड गार्ड ऐसा करने के पक्ष में नहीं है।

 

अब ऐसा क्यों नहीं करने दिया जा रहा है, इसके पीछे कुछ बहुत बड़ा राज छिपा हो सकता है। दरअसल, राहुल गांधी को संजय गांधी जैसा सख्त नहीं माना जाता है और उनका स्वभाव ऐसा है भी नहीं। इसी का फायदा उठाते हुए वरिष्ठ नेता उनसे अपने मन की बात मनवा लेते हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान का मुख्यमंत्री चुने जाने के समय भी यही देखा गया था। राहुल ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को सीएम बनाने के पक्ष में थे लेकिन आखिर में उन्हें ही झुकना पड़ा और दोनों राज्यों की कमान ‘बूढ़ों’ के हाथ में दे दी गई।

 

उस वक्त राहुल गांधी ने परिपक्वता का परिचय दिया और शांत रहे। हालांकि, अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि कमलनाथ और अशोक गहलोत ने मनमानी की। ऐसे में राहुल भी अब किसी और के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना चाहते हैं, जिससे उनका काम भी हो जाए और उनका नाम भी ना आए। शायद राहुल का अध्यक्ष पद से हटना कांग्रेस में बदलाव लाए लेकिन नेताओं का ईगो क्लैश कभी इसपर राजी होता नहीं दिख रहा है।

 

दरअसल, जो नेता राहुल गांधी से अपने मन की बात मनवा लेते हैं, उनके लिए किसी और के अध्यक्ष बनने पर समस्या हो सकती है। उदाहरण के तौर पर अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो उनकी सख्ती के आगे बाकी नेताओं की मनमानी नहीं चल पाएगी और इसे पार्टी के बड़े नेता बखूबी समझते हैं। संभवत: राहुल भी इसे अच्छे से समझ रहे हैं इसलिए वह भी इस बार अड़ गए हैं।