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Tag: हिंदी कविता

रात दरवाज़े पर दस्तक दे रही है

रात दरवाज़े पर दस्तक दे रही है

लोकल डिब्बा टीमOctober 12, 2020November 16, 2022

रात अब दरवाज़े पर खड़ी है रह-रह के सायरन की सदा आ रही है.

हर सरहद को तोड़ ही देगी आज़ादी…

लोकल डिब्बा टीमAugust 15, 2020November 16, 2022

हर सरहद को तोड़ ही देगी आज़ादी दुनिया भर को घर कर देगी आज़ादी. दिल में रह-रह मौज उठेगी आज़ादी…

सब राहों के अन्वेषी बचे-खुचे जंगलों के साथ ही कट गये

सब राहों के अन्वेषी बचे-खुचे जंगलों के साथ ही कट गये

लोकल डिब्बा टीमJune 27, 2020November 16, 2022

अब नहीं हैं प्रणययार्थी, न उनकी गणिकाऐं, वो गदिराए बदन भी नहीं हैं जिनपर लिख सको कामसूत्र जैसा ग्रंथ तुम…

ख़ुदकुशी…भवेश दिलशाद (शाद) की नज़्म

ख़ुदकुशी…भवेश दिलशाद (शाद) की नज़्म

लोकल डिब्बा टीमJune 26, 2020November 16, 2022

इसी इक मोड़ पर अक्सर गिरा जाता है ऊंचाई से अपनी ज़ात और ख़ाका मिटाया जाता है सब कुछ हो…

हम फिर वापस आएंगे!

हम फिर वापस आएंगे!

लोकल डिब्बा टीमMay 31, 2020November 16, 2022

फिर से हम जिन्दा लाशें,अपने मरे हुए सपनों से, नाउम्मीदी ओर जिल्लत की जिंदगी सेफिर से हम आपके रुके हुए…

शहरों से ठोकर मिला, हम चल बैठे गांव

शहरों से ठोकर मिला, हम चल बैठे गांव

लोकल डिब्बा टीमMay 11, 2020

माना अपने गांव में, रहता बहुत कलेस। कुल पीड़ा स्वीकार है, ना जाइब परदेस।

बुर्क़े हटा के आ गयीं, घूंघट उठा के आ गयीं, ये औरतें कमाल..

बुर्क़े हटा के आ गयीं, घूंघट उठा के आ गयीं, ये औरतें कमाल..

लोकल डिब्बा टीमMarch 9, 2020November 16, 2022

डर से निजात पा चुकीं, जीने को मरने आ चुकीं, धरने पे मुल्क ला चुकीं, ज़िद इनकी है बहाल, सलाम..

अग्नि वर्षा है तो है हां बर्फ़बारी है तो है

अग्नि वर्षा है तो है हां बर्फ़बारी है तो है

लोकल डिब्बा टीमSeptember 24, 2018

दुष्यंत चले गए. उनकी ग़ज़लें अमर हैं. जिन्होंने दुष्यंत कुमार को नहीं देखा, वे एहतराम साहब से मिल सकते हैं.…

नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा

नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा

लोकल डिब्बा टीमApril 17, 2018May 1, 2018

नज़र आता है डर ही डर, तेरे घर-बार में अम्मा नहीं आना मुझे इतने बुरे संसार में अम्मा. यहाँ तो…

कविता- तुम जानती हो चुराए हुए चुम्बनों का स्वाद?

कविता- तुम जानती हो चुराए हुए चुम्बनों का स्वाद?

लोकल डिब्बा टीमNovember 9, 2017

तुम्हारे कुछ चुंबन बचे हैं मेरे होठों पर कुछ मेरे भी बचे हों शायद तुम्हारे पास ये हमारे पहले चुंबन…

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https://youtu.be/2fwIj9d9nIA

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