राजनीतिक हलकों में ऐसा कहा जाता है कि 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी सरकार बनने के बाद से ही कश्मीर का मुद्दा इस सरकार के मुख्य एजेंडे में शामिल रहा है. समय-समय पर पीएम मोदी की तरफ से ऐसी बयानबाजियां देखने को भी मिली है. पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाना भी इसी एजेंडे में शामिल माना गया.
लेकिन अब सवाल यह है कि मोदी सरकार का यह दूसरा कार्यकाल है, दिलचस्प है कि दूसरे कार्यकाल का चुनाव भी इसी कश्मीर के इर्द-गिर्द हुआ. पुलवामा अटैक जब हुआ तो यह तय माना जा रहा था कि चुनाव में बीजेपी इसे भुनाएगी, हुआ भी वही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नसे लेकर बीजेपी के छोटे बड़े नेता भी अपनी हर रैली में एयर स्ट्राइक का जिक्र करना नहीं भूले.
अब फिर से मोदी सरकार कश्मीर मुद्दे पर आक्रामक हो गई है. संसद के दोनों सदनों में गृहमंत्री अमित शाह इस मुद्दे पर कांग्रेस और उसकी सरकारों पर तीखा प्रहार कर रहे हैं. कश्मीर मुद्दे पर वे और भी आक्रामक हो रहे हैं.
हाल ही में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिका दौरे के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान बाद सरकार थोड़ा असहज जरूर हुई लेकिन विदेश मंत्रालय के बयान की सफाई के बाद अब सरकार फिर सतर्क दिख रही है.
गृह मंत्री अमित शाह के बयानों और कश्मीर में सेना की हलचल से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार जल्द ही कश्मीर मुद्दे पर कोई एक्शन ले सकती है या किसी हल की और बढ़ सकती है. पिछले कई दिनों से भारी संख्या में सेना की टुकड़ियां कश्मीर में भेजी जा रही हैं. इसी बीच अमरनाथ यात्रा को भी समय से पहले रोक दिया गया है.
लेकिन सवाल यह है कि सरकार कश्मीर मुद्दे के किसी हल की तरफ बढ़ रही है या बीजेपी इस मूड की आड़ में कुछ और ही करना चाह रही है. इस बात को सरकार ना संसद में बता पा रही है ना ही उसके मंत्री संसद के बाहर बता पा रहे हैं.
धारा 370 के मुद्दे पर भीतर एकराय बना पाना मुश्किल है. जिस टीडीपी के साथ बीजेपी वहां सरकार चला चुकी है, वह भी इस मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ है. कश्मीर के लोग समय-समय पर अपने क्रियाकलाप दिखा ही देते हैं. वहां की स्थानीय छोटी पार्टियां भी बीजेपी के साथ खड़े होने से कतराती हैं. तो अब कश्मीर में क्या होगा यह देखना काफी दिलचस्प है लेकिन एक बात तय है कि अभी-अभी लोकसभा चुनाव जीतकर निकली बीजेपी के हौंसले कश्मीर के मुद्दों पर काफी बुलंद नजर आ रहे हैं.