इंसानों की तेज़ी से बढ़ती आबादी का असर दुनिया के तमाम हिस्सों में दिखने लगा है. आए दिन जनसंख्या विस्फ़ोट के ख़तरों पर तमाम चर्चाएं होती रहती हैं. क़ुदरत के सीमित संसाधनों से लेकर इंसानों के अस्तित्व तक पर ख़तरे बताए जाते हैं. दुनिया के तमाम शहरों में अन्न, जल और ज़मीन की कमी से लोग बेहाल हो रहे हैं.
आज हम आपको दिखाएंगे Hong Kong की तस्वीरें और बताएंगे आपको ‘Coffin Cubicles’ के बारे में, जिसका प्रचलन वहां जगह की कमी के चलते लोगों के रहने के लिए तेज़ी से बढ़ रहा है.
Hong Kong की आबादी लगभग 7.5 मिलियन है. यहां क्षेत्रफल के मुक़ाबले जनसंख्या इतनी ज़्यादा हो गई है कि लोगों को रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल रही. ऐसे में यहां ‘Coffin Cubicles’ का प्रचलन बढ़ रहा है.
Coffin Cubicles एक तरह के कमरे होते हैं, जिनमें इंसानी ज़रूरत के सारी सुविधाएं और सामान इतनी तंग जगह में समेटनी पड़ती हैं कि इसे कमरे से ज़्यादा पिंजरा कहना चाहिए.
United Nations ने इस प्रकार के इस प्रकार के ‘Cage Apartments’ की निंदा करते हुए इसे ‘मानवीय मर्यादा का हनन’ बताया था. मगर ‘Society for Community Organisation’ के अनुसार लगभग 200,000 लोग ऐसे माहौल में रहने के लिए मजबूर हैं और यही उनके पास एकमात्र विकल्प है.
Benny Lam, जिन्होंने फ़ेसबुक पर ‘Trapped’ नाम की एक सीरीज़ शुरू करके इन घुटन भरी जगहों के बारे में लोगों को बताना शुरू किया.
Lam के अनुसार इन ‘पिंजरों’ में रहने वाले ज़्यादातर लोग वही हैं, जो रोज़ आपसे सिक्यूरिटी गार्ड, वेटर, क्लीनर या डिलीवरी बॉय आदि के रूप में टकराते हैं.
Lam बताते हैं कि सोने से लेकर खाना पकाने तक का सारा काम इस छोटे से Coffin Cubicles में किये जाते हैं.
उनके अनुसार इस छोटे से कमरे का किराया, जिसमें ठीक से खड़े होना भी मुश्किल है, यहां HK$ 2000 यानी लगभग 16500 रुपये है.
Hong Kong, जिसके चमचमाते महंगे बाज़ार, होटल, रेस्टोरेंट और टूरिस्ट स्पॉट्स दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करते हैं. वहीं ऐसे पिंजरानुमा घरों में लगभग दो लाख लोग, जिनमें 40 हज़ार के बच्चे हैं, ऐसी ज़िन्दगी जीने को मजबूर हैं. दुनिया की बढ़ती आबादी ऐसी तमाम परेशानियों का कारण बन रही है. भारत के भी कई हिस्सों में पेयजल की कमी, संसाधनों की कमी और बड़े शहरों में रहने की जगहों की कमी से हज़ारों लोग परेशान होते हैं.
चित्र एव तथ्य संकलन साभार Boredpanda
फ़ीचर इमेज स्रोत http: Dailymail