अजीत आगरकर: वह सितारा जो धुंधला हुआ तो फिर ना चमका

BY: दया सागर आर्य

अजीत आगरकर, एक लंबे कद का छरहरा खिलाड़ी, जो दाएं हाथ से मध्यम तेज गेंदबाजी और दाएं हाथ से ही बल्लेबाजी भी करता था। आगरकर, जो नए और पुराने दोनों गेंद से दोनों तरफ स्विंग गेंदबाजी के लिए जाना जाता था और जब वह बैटिंग करने आता था तो उससे लोग लंबे हिट की उम्मीद लगाए रहते थे। कभी-कभी वह इन उम्मीदों पर खरा उतरता था और कभी-कभी वह फेल हो जाता था। आगरकर का क्रिकेटिंग करियर इन्हीं उतार-चढ़ाव से भरा रहा।


वह जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आया था तो कई क्रिकेट विशेषज्ञ उसे महान कपिल देव का एक विकल्प मान रहे थे। उसने 90 के दशक के अंतिम वर्षों में श्रीनाथ और वेंकेटेश प्रसाद की छत्रछाया में अपने क्रिकेटिंग करियर की शुरूआत की। उस समय आशीष नेहरा, देवाशीष मोहंती और जहीर खान जैसे तेज गेंदबाज भी भारतीय टीम में आने के लिए संघर्षरत थे। इसलिए आगरकर को टीम में स्थाई जगह बनाने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ी। बाद में इरफान पठान, मुनफ पटेल, बालाजी और आर. पी. सिंह जैसे गेंदबाजों के आने से यह प्रतिस्पर्धा और भी कड़ी होती चली गई। यही कारण है कि लगभग 10 सालों के अंतरराष्ट्रीय करियर में आगरकर सिर्फ 26 टेस्ट और 191 वनडे मैच खेल पाएं। हालांकि इस दौरान उन्होंने कुछ खास रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किए, जिसके लिए उन्हें लंबे समय तक याद किया जाएगा।

वनडे मैचों में सबसे तेज 50 विकेट
आगरकर ने अपने टेस्ट और वन डे करियर की शुरुआत लगभग साथ-साथ की थी लेकिन जल्द ही उन्होंने खुद को एक वनडे विशेषज्ञ के रूप में स्थापित कर लिया। उन्हें एक ‘विकेट टेकिंग’ गेंदबाज के रूप में जाने जाना लगा, जो हर मैच में कम से कम 2 या 3 विकेट लेते थे। इस दौरान आगरकर ने डेनिस लिली के सबसे तेज 50 विकेट लेने के विश्व रिकार्ड को तोड़ा, जब उन्होंने अपने 23वें मैच में जिम्बाम्बवे के एलिएस्टर कैंपबेल को आउट कर अपना 50वां विकेट लिया। लेजेंड्री डेनिस लिली ने इसके लिए 24 मैच लिए थे। हालांकि लगभग 11 साल बाद श्रीलंका के अजंता मेंडिस ने सिर्फ 19 मैच में यह कारनामा कर विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।

वनडे मैचों में सबसे तेज अर्धशतक का भारतीय रेकॉर्ड
शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि वनडे मैचों में सबसे कम गेंदों पर अर्धशतक बनाने का रिकॉर्ड युवराज सिंह या वीरेंद्र सिंह सहवाग के नाम पर नहीं बल्कि अजीत आगरकर के नाम है। उन्होंने जिम्बाम्बवे के ही खिलाफ 21 गेंदो में अर्धशतक लगाकर एक और लेजेंड्री आलरॉउंडर कपिल देव का रिकॉर्ड तोड़ा था। कपिल देव ने यह रिकॉर्ड 22 गेंदों में बनाया था। इस मैच में आगरकर ने 25 गेंदों में 67 रन बनाने के साथ ही 3 विकेट लिए थे। खास बात यह है कि आगरकर का यह रिकॉर्ड अब भी सुरक्षित है।

लॉर्ड्स में शतक
लॉर्ड्स को क्रिकेट का घर, क्रिकेट का मक्का माना जाता है। यहां पर शतक लगाना या 5 विकेट लेना विश्व क्रिकेट में एक सम्मान की बात है और हर एक क्रिकेटर का सपना लॉर्ड्स के सम्मान बोर्ड पर अपना नाम दर्ज करवाना होता है। सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर और रिकी पोंटिंग को भी यग सम्मान प्राप्त नहीं है। आगरकर ने 2002 में नासिर हुसैन की कप्तानी वाली इंग्लिश टीम के खिलाफ शतक लगाकर यह सम्मान अपने नाम किया था। इस शतक की खास बात यह थी कि इस मैच में आशीष नेहरा ने अपना सर्वाधिक स्कोर (19 रन) बनाकर आगरकर को शतक लगाने में मदद की थी।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार सात ‘डक’ का अनचाहा रिकॉर्ड
आगरकर को एक बॉलिंग ऑलराउंडर माना जाता था लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब आगरकर को अपने खराब बैटिंग के लिए शर्मसार होना पड़ा था। भारतीय टीम 1999 में जब ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी तब कंगारू तेज गेंदबाजों ब्रेट ली, मैक्ग्रा और डेमियन फ्लेमिंग ने आगरकर को खासा परेशान किया था। आगरकर लगातार 5 बार ‘डक’ यानी शून्य पर आउट हुए थे, जिसमें 4 ‘गोल्डेन डक’ (पहली गेंद पर आउट) था। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम जब भारत आई तब आगरकर अपने होमग्राउंड मुम्बई में भी दोनों पारियों में शून्य पर आउट हुए। इसके बाद आगरकर को क्रिकेट स्कोरर बिल फ्रींडाल ने उन्हें ‘बॉम्बे डक’ का नाम दे दिया था।

इसके अलावा इस प्रतिभाशाली क्रिकेटर के नाम वन डे क्रिकेट में सबसे कम मैचों में (133 मैच) 1000 रन और 200 विकेट लेने का रिकॉर्ड दर्ज है। यहां पर भी आगरकर ने महान दक्षिण अफ्रीकी ऑलराउंडर शॉन पोलॉक का रिकॉर्ड तोड़ा था।

हालांकि आगरकर अपनी प्रतिभा के साथ कभी न्याय नहीं कर पाए, नहीं तो क्रिकेट जगत के कई अन्य रिकॉर्ड उनके नाम होते। कम से कम अग्रणी भारतीय वनडे गेंदबाजों में उनका नाम जरूर लिया जाता। आकड़ों के अनुसार, वह अनिल कुंबले और श्रीनाथ के बाद वनडे क्रिकेट में तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज हैं लेकिन महान भारतीय गेंदबाजों की जब चर्चा होती है तब आगरकर का नाम कहीं नहीं आता।

ना तो आगरकर ने कभी अपनी प्रतिभा के साथ पूरा न्याय किया और ना ही क्रिकेट विशेषज्ञों और प्रशंसकों ने आगरकर के साथ।