नेहरू कुछ अच्छा कर गए हैं तभी उनकी आलोचना हो रही है

नेहरू

राहुल सांकृत्यायन.

ऐसे समय में जब किसी व्यक्ति पर सबसे ज्यादा हमला हो तो यह अपने आप समझा जाना चाहिए कि वह कितना योग्य रहा होगा. ऐसा ही कुछ पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ हो रहा है. तमाम उम्दा यादों के बीच घिरा यह शख्स आज जब याद किया जाता है तो सबसे ज्यादा उसकी आलोचना ही होती है. कहा जाता है कि जब आपकी आलोचना हो रही हो तो इसका आशय है कि आप मजबूत हैं और बहुत कुछ अच्छा कर के गए हैं.

भारतीय मनीषा की मानें तो मृत व्यक्ति पर कोई ओछी टिप्पणी नहीं की जाती. हालांकि व्यावहारिक जीवन और राजनीति में इसका पालन कहां हो पाता है. नेहरू पर बीते सालों में बहुत कुछ कहा गया. कई बार तो आलोचनाओं का स्तर इतना नीचे गिर गया कि आलोचना अपने शब्द के अर्थ पर हया खा जाए.

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खैर, नेहरू ऐसे नहीं थे. वह अपने आलोचक को कभी जेल में आम भिजवाते तो कभी उसकी राय लेकर अगले दिन संसद में जवाब देते. नेहरू अपने समय के सारथी स्वयं थे. नेहरू ने मदुरै के मंदिर से आगरा के ताजमहल तक को विरासत का दर्जा दिया. नेहरू वह थे जिनकी गिरेबां पकड़ कर कोई यह पूछने की हैसियत रखता था कि तुमने क्या किया?

जिन नेहरू पर वंशवाद की राजनीति का प्रतीक होने का आरोप लगता है उस शख्सियत ने ऐसा कभी चाहा ही नहीं. नेहरू हमारे लोकतांत्रिक देश की बुनियाद हैं. वह उस संस्कृति का दर्शन हैं जो एक दूसरे का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है.

बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार हैं नेहरू

नेहरू जब प्रधानमंत्री बने तो उनके लिए मंदिर-मस्जिद मुद्दा नहीं था. उन्होंने साल 1950 में चुनाव आयोग का गठन किया. देश के विकास के लिए साल 1950 में उन्होंने योजना आयोग की स्थापना की. साल 1950 में ही आईआईटी, साल 1961 में आईआईएम औरसाल 1956 में एम्स की शुरुआत कराई. नेहरू ने साल 1961 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन बनाया.

…तो वी के कृष्ण मेनन की वजह से 1962 में हारा था भारत?

नेहरू के ही कार्यकाल में साल 1954 में नेशनल डिफेंस एकेडमी और साल 1958 में डीआरडीओ की स्थापना की गई. साल 1955 में भिलाई स्टील प्लांट, साल 1963 भाखड़ा-नांगल बांध का निर्माण और साल 1956 में ओएनजीसी की स्थापना हुई.

भूमि सुधार, राज्य पुर्नगठन अधिनियम , न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, यह सोच और इससे जुड़ी चीजें भी उन्हीं के कार्यकाल की देन हैं. बाद के लोगों ने क्या किया, इसकी गणना फिर कभी लेकिन जिस व्यक्ति ने इतना कुछ दिया उसकी आलोचना करने के लिए निम्नतम स्तर तक गिरने की अनुमति तो प्राकृतिक न्याय भी नहीं देता.

 

नेहरू से भी हुईं गलतियां

आखिर में बात जम्मू और कश्मीर, चीन से जुड़ी नेहरू की गलतियों की. नेहरू ने हमेशा से जम्मू और कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग माना. चीन पर वह धोखा खा गए. थोड़ी सावधानी बरतनी थी, ऐसा नहीं हुआ. खैर, जब कोई बड़ी शख्सियत गलती करता है तो वह अपने आप में मायने रखती है. उनकी ये दो गलतियां देश आज भी भुगत रहा है.

इन दो गलतियों की वजह से उनकी आलोचना के नाम पर उन्हें ‘अनुकंपा के आधार पर बना हुआ प्रधानमंत्री’ बता देना कहीं का न्याय तो नहीं. उन्होंने इस देश को बहुत कुछ दिया है. कुछ एक गलतियां सबसे होती हैं. राजनीति और व्यावहारिक जीवन उनके प्रति भले सिर्फ सकारात्मक रैवया न अपनाए लेकिन आलोचना के स्तर से इतना नीचे भी न गिरे कि फिर संभलने का मौका न मिले.

नेहरू को आदरांजलि

आंकड़ों के लिए तमाम वेबसाइट्स का साभार.

(राहुल सांकृत्यायन पेशे से पत्रकार हैं.)

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